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कहीं खत्म न हो जाय तालाबों का अस्तित्व !
दुमका : उपराजधानी दुमका के सभी प्रमुख तालाब गंदगी और कचरे से पटा है. जिनकी सुध न तो नगर पर्षद ले रहा है न ही जिला प्रशासन. लगातार गंदगी इन तालाबों में फेंक दी जाती है. कचरा फेंकने वाले और गंदगी फैलाने वालों पर कोई शिकंजा भी नहीं कसा जा रहा है. प्रतिमा और पूजन […]
दुमका : उपराजधानी दुमका के सभी प्रमुख तालाब गंदगी और कचरे से पटा है. जिनकी सुध न तो नगर पर्षद ले रहा है न ही जिला प्रशासन. लगातार गंदगी इन तालाबों में फेंक दी जाती है.
कचरा फेंकने वाले और गंदगी फैलाने वालों पर कोई शिकंजा भी नहीं कसा जा रहा है. प्रतिमा और पूजन सामग्रियों के विसर्जन ने भी तालाब की रौनक को बिगाड़ दिया है. दुमका शहर की हृदयस्थली में स्थित बड़ा बांध तालाब की स्थिति तो बेहद खराब है. तालाब का पानी इतना गंदा है कि पास से गुजरने वाले लोगों को दुर्गंध आता है. इसी तालाब में हर दिन सैकड़ों लोग स्नान करते हैं. तालाब के चारों ओर कचरा व विसर्जित प्रतिमाओं के अवशेष पड़े हैं.
प्रतिमा विसर्जन के बाद पानी से मूर्तियों को नहीं निकाला गया.लाल पोखरा के नाम से मशहूर ग्रांट ईस्टेट का पोखर का पानी हरा हो चुका है. चारों ओर पोलिथीन, कचरा, ईंट पत्थर तथा अन्य गंदे पदार्थ बिखरे हुए हैं. जिससे इस तालाब के पानी का उपयोग तो जानवर भी नहीं करते. यही स्थिति राखाबनी के तालाब की भी है. इधर काफी साफ-सुथरा रहने वाला रसिकपुर तालाब भी अब प्रदूषित होने से अछूता नहीं रहा. तालाब के भी एक हिस्से में कचरा पसरा हुआ है.
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