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त्वरित न्याय दिलाने में सहयोग करें अधिवक्ता : सीजे

दुमका जिला अधिवक्ता संघ के शताब्दी वर्ष पर भव्य समारोह दुमका : दुमका जिला अधिवक्ता संघ के शताब्दी समारोह में झारखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाशधीश न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह ने अधिवक्ताओं से अपील की कि वे लंबित मामलों को निष्पादित करने में न्यायिक पदाधिकारियों को पूरा सहयोग करें, ताकि लक्ष्य के अनुरुप लंबित वाद निबटाये […]

दुमका जिला अधिवक्ता संघ के शताब्दी वर्ष पर भव्य समारोह
दुमका : दुमका जिला अधिवक्ता संघ के शताब्दी समारोह में झारखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाशधीश न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह ने अधिवक्ताओं से अपील की कि वे लंबित मामलों को निष्पादित करने में न्यायिक पदाधिकारियों को पूरा सहयोग करें, ताकि लक्ष्य के अनुरुप लंबित वाद निबटाये जा सकें.
इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस समारोह में उन्होंने कहा कि दुमका जिला में 10 हजार से अधिक पुराने मामले लंबित हैं. लंबित मामलों में क्रिमिनल वादों की संख्या 8593 है. यहां पांच साल पुराने मामले 1945 हैं, जबकि पांच साल से अधिक पुराने मामलों की संख्या और भी अधिक हैं.
पांच साल से अधिक पुराने लंबित मामलों का निष्पादन 2020 तक : उन्होंने कहा कि पांच साल से अधिक पुराने सभी लंबित मामलों को 2020 तक निष्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में अधिवक्ताओं का सहयोग जरुरी है. मुख्य न्यायधीश ने अपने अनुभव साझा किया और खासकर युवा अधिवक्ताओं को सलाह दिया कि वह अनुभव की शुरुआत ट्रायल कोर्ट से करें. उन्होंने कहा कि युवा अधिवक्ता को शुरुआत के तीन-चार साल अवश्य ही सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करनी चाहिये तब ही हाईकोर्ट में उन्हें शिफ्ट करना चाहिये. जिला और अनुमंडल न्यायालयों में काम करने से कानून की मौलिक जानकारी हासिल होती है, जबकि हाईकोर्ट में अधिकतर रिट और क्वैश के मामले होते हैं.
बार में अच्छी लाइब्रेरी विकसित करें: न्यायमूर्ति पटेल
वहीं अपने संबोधन में न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने युवा अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित किया. अच्छी लाइब्रेरी बार में विकसित करने की सलाह दी. इ-लाइब्रेरी पर भी उन्होंने जोर दिया. उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं की भूमिका कोर्ट के अंदर और कोर्ट के बाहर भी है.
पूर्वजों का संघर्ष मार्गदर्शक बनेगा : न्यायमूर्ति भट्ट
न्यायमूर्ति पीपी भट्ट ने दुमका बार के सौ साल से भी अधिक के हो जाने पर खुशी जतायी और कहा कि यह छोटी बात नही है. पूर्वजों ने जो संघर्ष किया था, वह मार्गदर्शक बनेगा.
उन्होंने कहा कि 15 दिनों के अंदर ज्यूडिशियल एकेडमी का काम पूरा कर लिया जायेगा, इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के कई न्यायमूर्ति की भी आगमन होगा. अधिवक्ताओं के लिए अकादमी की आवश्यकता पर भी उन्होंने प्रकाश डाला.
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गोपेश्वर प्रसाद झा ने किया. उन्होंने दुमका बार एसोसियेशन के 100 साल से भी अधिक पुराने इतिहास पर प्रकाश डाला. बार काउंसिल ऑफ झारखंड के अध्यक्ष राजीव रंजन, उपाध्यक्ष राजेश शुक्ल, सदस्य बालेश्वर सिंह व धर्मेंद्र नारायण ने भी अपने विचारों को रखा. धन्यवाद ज्ञापन विजय कुमार सिंह ने किया. संचालन उच्च न्यायालय के अधिवक्ता महेश तिवारी ने किया.
25 दुमका 11 से 29 तक
30 फीसदी महिलाओं की हो हिस्सेदारी
उन्होंने कहा कि हमने प्रयास किया है कि न्यायिक सेवा में महिलाओं की भागीदारी बढ़े. सिविल-जज जूनियर डिवीजन में 30 प्रतिशत महिलाओं की हिस्सेदारी हो.
हमें इस बात की खुशी है कि 116 पदों के विरुद्ध 106 ने योगदान दिया है जिसमें 36 महिलाएं हैं जो 30 प्रतिशत से अधिक हैं.

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