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बोकारो से पूर्णिया जा रही श्रीहरि बस टेपरा पुल के समीप पलटी

जामा/दुमका : बोकारो से पूर्णिया जा रही श्री हरि यात्री बस दुमका जिले के जामा थाना क्षेत्र में टेपरा नदी पर बने पुल के समीप तीखे मोड़ पर दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गयी. जिसमें एक महिला व उसके दो बच्चे की मौत हो गयी. जबकि करीब दो दर्जन लोग घायल हो गये. जानकारी के मुताबिक मृतका […]

जामा/दुमका : बोकारो से पूर्णिया जा रही श्री हरि यात्री बस दुमका जिले के जामा थाना क्षेत्र में टेपरा नदी पर बने पुल के समीप तीखे मोड़ पर दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गयी. जिसमें एक महिला व उसके दो बच्चे की मौत हो गयी. जबकि करीब दो दर्जन लोग घायल हो गये.
जानकारी के मुताबिक मृतका श्रुति चौधरी (28) के पति हरेंद्र चौधरी अपने दो बच्चे कृति कुमारी (4) व पुत्र प्रियांशु (1) को लेकर भागलपुर जिले के कहलगांव लौट रहे थे. हरेंद्र, उनकी पत्नी और दोनों बच्चे केबिन में बैठे थे. जैसे ही बस टेपरा नदी पर बने पुल के समीप पहुंची वह दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गयी.
(पेज आठ भी देखें)
जिसमें हरेंद्र को गंभीर चोटें आयी. वहीं केबिन में रहने की वजह से आगे का शीशा टूटने के बाद श्रुति, कृति एवं प्रियांशु बस से बाहर गिर गया और फिर बस के नीचे आ जाने से उसकी दर्दनाक मौत हो गयी.
क्रेन की सहायता से उठायी बस
घटना की सूचना मिलने पर क्रेन मंगवाकर बस को उठवाया गया तथा दबे लोगों को सुरक्षित निकाला गया. सभी घायलों को जामा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. जहां घायलों की मरहम पट्टी हो सकी.
इतना लापरवाह चालक मैंने नहीं देखा : हरेंद्र
हरेंद्र ने बताया कि जामा मोड़ से पांच किलोमीटर पहले बस चालक ने लाइन होटल के पास बस रोकी. यहां से फिर चालक बदल गया. दूसरे चालक शराब के नशे में था. वह लापरवाही से काफी तेज गति से गाड़ी चला रहा था. उसे मैने संभल कर गाड़ी चलाने को कहा, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा. करीब 20 मिनट बाद ही बस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी.
इसमें हरेंद्र की पत्नी श्रुति देवी और दोनों बच्चे कीर्ति और प्रियांशु की दर्दनाक मौत हो गयी.हरेंद्र व उनकी भाभी पुतुल देवी घायल हो गये. दुर्घटना के बाद चालक मौके से भाग निकला. श्री हरि बस के मालिक को फोन करने पर उसने भी स्विच ऑफ कर लिया. तीनों के शवों को बस से निकाल कर दुमका पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव कहलगांव लाये गये.
पत्नी व बच्चों को याद कर फफक पड़ते हैं हरेंद्र
कहलगांव के श्मशान घाट में बैठे हरेंद्र पत्नी और बच्चों को याद कर फफक पड़ते हैं. उनकी आंखों के आंसू भी सूख गये हैं. वह कहते हैं, ऐसा लापरवाह चालक कभी नहीं देखा.
उसके कारण मेरी दुनिया ही उजड़ गयी. एक साथ तीन-तीन शव का अंतिम संस्कार होते देख परिजनों व मित्रों की आंखें भी भर आायी. हरेंद्र के पिता रामरूप चौधरी फूट-फूट कर रो रहे हैं.
रोते-राते वह कहते हैं कि मेरे दोनों बच्चे घर आ रहे हैं, इसकी खुशी में मैं रात में सो नहीं पा रहा था. मैं बेटे-बहू और पोता-पोती की राह देख रहा था. सोच रहा था कि अपने बच्चों को आम खिलाउंगा, उनके साथ खेलूंगा. इतना कहते-कहते वह फफक कर रोने लगते हैं. रामरूप चौधरी के तीनों भाई वकील चौधरी, सुरेंद्र चौधरी तथा वीरेंद्र चौधरी भी बच्चों और बहू को याद कर रो पड़ते हैं.

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