दुमका : केंद्रीय पुस्तकालय के लिए पुस्तकों की खरीद घोटाले में चल रही निगरानी की जांच को लेकर दो सदस्यीय टीम गुरुवार को सिदो कान्हू मुमरू विश्वविद्यालय पहुंची.
निगरानी की इस टीम में शामिल दो अधिकारियों ने पांच घंटे तक पुस्तकों की खरीद से लेकर इन पुस्तकों की उपयोगिता तथा खरीदने से पहले उसकी आवश्यकताओं को लेकर विभागाध्यक्षों की राय और पुस्तक की मांग आदि की जानकारी ली.
टीम ने इस दौरान पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ अजीत कुमार सिंह के अलावा विश्वविद्यालय के कुछ पदाधिकारियों, विभागाध्यक्षों, शिक्षक तथा छात्रों से भी जानकारी ली.
2009 में हुई थी पुस्तकों की खरीद : वर्ष 2009 में तत्कालीन कुलपति डॉ विक्टर तिग्गा के कार्यकाल में दो चरण में केंद्रीय पुस्तकालय के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की पुस्तक खरीदी गयी थी.
पहली खेप में ही एक करोड़ रुपये की लागत से लगभग 14 हजार पुस्तकों का क्रय हुआ था. बाद में और भी पुस्तकें खरीदी गयी थी, जिसके बाद 50 लाख रुपये का भुगतान तात्कालीन वीसी डॉ वशीर अहमद खान की मुहर लगने के बाद हुआ था.
लोकायुक्त से की गयी थी शिकायत
इस मामले में शिकायतकर्ता के रुप में डॉ एके सिंह ने लोकायुक्त के पास शिकायत की थी. मामले को लोकायुक्त द्वारा निगरानी को भेज दिया गया था. बहरहाल लगभग तीन साल से यह मामला जांच के दायरे में है. जांच के लिए पहुंची निगरानी की अधिकारी सुनीता रानी कच्छप एवं एक अन्य 10.30 बजे से लगभग साढे 3 बजे तक विश्वविद्यालय में रहे.
उपयोग के लायक नहीं खरीदीं गयी पुस्तकें!
सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के लिए जो पुस्तके खरीदी गयी, उनमें से कई पुस्तकें उपयोगी नहीं हैं. कई पुस्तकों के संस्करण से संबंधित भी सवाल उठते रहे हैं. विभागों में ऐसी पुस्तकों की उपयोगिता भी पूरी–पूरी सुनिश्चित नहीं हो पा रही. छात्र लाभ नहीं उठा पा रहे. लिहाजा अनियमित ढंग से खरीदी गयी इन पुस्तकों को लेकर जांच हो रही है.