प्रतिनिधि, मसलियाआजादी के छह दशक बाद भी प्रखंड के रानीघाघर पंचायत अंतर्गत लताबुनी गांव विकास की रोशनी से कोसों दूर है. लताबुनी गांव प्रखंड मुख्यालय मसलिया से करीब 30 किमी दूर है. गांव में आदिवासी एवं गैर आदिवासी समुदाय के लगभग 87 परिवार है. गांव में स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा जैसी सुविधाओं का घोर अभाव देखने को मिलता है. गांव की सड़क जर्जर रहने के कारण लोगों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चिकित्सा के लिए गांव के लोगों को दुमका अथवा जामताड़ा जाना पड़ता है. क्या कहते हैं ग्रामीण : गांव के देविसल टुडू, लगेन टुडू, जोलो सोरेन, गायना टुडू, वार्ड सदस्या मीना मुर्मू आदि ने बताया कि गांव में चापानल तो है पर प्राय: चापानल आज भी खराब पड़ा हुआ है. गांव में मध्य विद्यालय है पर शिक्षकों की घोर कमी है. सरकारी चिकित्सक के अभाव में गर्भवती महिलाओं को झोलाछाप चिकित्सक से इलाज कराने पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है.क्या कहते हैं मुखिया : पंचायत के मुखिया सागेन सोरेन ने बताया कि लताबुनी गांव के समस्याओं से अवगत है. सरकार पंचायत को जरूरत से कम फंड भेजते हैं. फंड मिलने पर प्राथमिकता के आधार पर कार्य होगा.——————–फ ोटो-डीएमके/मसलियालताबुनी गांव की जर्जर सड़क.
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विकास की रोशनी से दूर लताबुनी गांव
प्रतिनिधि, मसलियाआजादी के छह दशक बाद भी प्रखंड के रानीघाघर पंचायत अंतर्गत लताबुनी गांव विकास की रोशनी से कोसों दूर है. लताबुनी गांव प्रखंड मुख्यालय मसलिया से करीब 30 किमी दूर है. गांव में आदिवासी एवं गैर आदिवासी समुदाय के लगभग 87 परिवार है. गांव में स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा जैसी सुविधाओं का घोर […]
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