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दुमका : 14 सीटों पर महज 18 की उम्मीदवारी
आनंद जायसवाल फीकी थी 2014 के लोकसभा चुनाव में आधी आबादी की भागीदारी दुमका : आम चुनाव 2014 में भाजपा व कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल ने झारखंड से एक भी महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान नहीं उतारा था. झामुमो जैसे क्षेत्रीय दल की भी यही स्थिति थी. राष्ट्रीय दल में भाकपा ने और बसपा ने […]
आनंद जायसवाल
फीकी थी 2014 के लोकसभा चुनाव में आधी आबादी की भागीदारी
दुमका : आम चुनाव 2014 में भाजपा व कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल ने झारखंड से एक भी महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान नहीं उतारा था. झामुमो जैसे क्षेत्रीय दल की भी यही स्थिति थी. राष्ट्रीय दल में भाकपा ने और बसपा ने एक-एक सीट पर महिला प्रत्याशी दिया था.
क्षेत्रीय दलों में आजसू पार्टी और झाविमो ने एक-एक महिला को टिकट दिया था. आप पार्टी ने भी दो महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा था. 2014 के आम चुनाव में जिन 18 महिला प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमायी थी. कुल 19 महिलाओं ने नामांकन किया था, इसमें एक नामांकन रद्द हो गया था. झारखंड के सभी 14 लोकसभा सीटों में कुल 240 उम्मीदवार मैदान में थे, इसमें मात्र 18 महिला थीं.
इसमें ज्यादातर महिलाओं ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाया था. इसमें एक भी महिला उम्मीदवार को सफलता नहीं मिली थी.
चार लोकसभा क्षेत्र में नहीं थी एक भी महिला उम्मीदवार : झारखंड के चार लोकसभा क्षेत्र में एक भी महिला उम्मीदवार नहीं थी. धनबाद और खूंटी से सबसे अधिक तीन-तीन महिला प्रत्याशी मैदान में थी. राजमहल, गिरिडीह, जमशेदपुर और लोहरदगा से एक भी महिला ने नामांकन नहीं किया था. लोकसभा चुनाव में कुल 209 प्रत्याशियों का जमानत जब्त हो गयी थी. इसमें 17 महिला उम्मीदवार थी. केवल एक उम्मीदवार की जमानत बची थी.
25000 से कम वोट मिले थे 15 को : 2014 के लोकसभा चुनाव में दो महिला प्रत्याशियों को छोड़ दें, तो 18 में से 15 का वोट 25000 से कम ही था. सिंहभूम संसदीय क्षेत्र से जेबीएसपी की उम्मीदवार गीता कोड़ा को 215607 वोट लाकर दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था, जबकि चतरा संसदीय क्षेत्र में जेवीएम की उम्मीदवार नीलम देवी को 104176 वोट लाकर तीसरे स्थान पर. दुमका संसदीय क्षेत्र से भाकपा की उम्मीदवार रही छाया कोल को 26442 मत मिले थे. वे यहां चौथे स्थान पर रही थीं.
10 को नोटा से भी मिले थे कम वोट : 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य के दुमका, गोड्डा, धनबाद, रांची, सिंहभूम, खूंटी व पलामू से चुनाव लड़नेवाली 10 महिला प्रत्याशियों पर जिन दलों ने विश्वास किया था या फिर वे खुद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मेंकिस्मत आजमा रही थी, उन्हें नोटा अर्थात नन ऑफ दी एवब से भी कम वोट मिले थे. ऐसे नामों में दुमका से बिटिया मांझी, गोड्डा से गीता मंडल, धनबाद से रितु रानी सिंह व सुमन बनर्जी, रांची से साजिया हैदर, सिंहभूम से स्नेहलता कुमारी, खूंटी से दयामनी बारला, नीलिमा बोदरा बार व आश्रिता टूटी व पलामू से सुस्मिता मेहता के नाम शामिल थे.
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