आनंद जायसवाल
केंद्रीय तसर अनुसंधान केंद्र ने सेरिसीन के प्यूरीफिकेशन की नयी तकनीक का किया इजाद
एक किलो शुद्ध सेरिसीन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 लाख
दुमका : देश में तसर कोकुन का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले दुमका जिले में अब इसके मूल्यवर्द्धन की वृहत योजना पर काम हो रहा है. अब तसर कोकुन से धागा निकालने के लिए इस्तेमाल में लाया गया पानी भी तसर कीटपालकों व धागा बनानेवालों को अच्छी कीमत दे जायेगा. दरअसल अब कोकुन को उबालने में इस्तेमाल किये गये पानी से सेरिसीन निकाला जायेगा. अब तक कोकुन को उबालने के बाद इसके पानी को धागा निकालने वालों द्वारा नाले में फेंक दिया जाता था.
आम के आम, गुठली के दाम
अब उत्पादक इस पानी को रखेंगे और धागे की तरह ही ये पानी भी अच्छी कीमत दे जायेंगे. दरअसल इससे निकलने वाले सिल्क प्रोटीन सेरिसीन की अंतराष्ट्रीय बाजार में बहुत अच्छी कीमत है. शुद्ध और मानक स्तर के सेरिसीन की कीमत प्रति किलो 10 लाख रुपये तक है.
सेरिसीन का उपयोग सौंदर्य उत्पाद खास कर त्वचा की झुर्रियों को कम करने वाली क्रीम आदि के निर्माण के अलावा दवाइयों में प्रोटीन के लिए तथा सर्जरी आदि के दौरान किया जाता है.
चीन मलबरी सिल्क से सेरिसीन निकालता है और ऊंची कीमत पर बेचता है. अब भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सहयोग से केंद्रीय तसर अनुसंधान केंद्र ने रिसर्च कर सेरिसीन के प्यूरीफिकेशन की इस नयी तकनीक का इजाद किया है. इस तकनीक में मलबरी की तरह कोकुन से सीधे सेरिसीन नहीं निकाला जायेगा, बल्कि तसर सिल्क के कोकुन को उबालने के लिए इस्तेमाल किये गये पानी से इसे निकाला जायेग. यह रिसर्च तसर उत्पादकों के लिए आनेवाले समय में बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होनेवाली है. केंद्रीय तसर अनुसंधान केंद्र इसे पेटेंट की ओर भी आगे बढ़ रहा है.
केंद्रीय तसर अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि 2016 से ही इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था. दुमका में तत्काल 20 लोगों को सेरिसीन निकालने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि देश में 2200 मैट्रिक टन तसर का उत्पादन होता है, इसलिए सेरिसीन के क्षेत्र में आगे बढ़ने से तसर उत्पादकों को भरपूर लाभ मिलेगा, इसकी पूरी उम्मीद है.
सोमवार को रेशम भवन (पुराना विकास भवन) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान तसर सिल्क के कोकुन को उबालने के लिए इस्तेमाल में लाये गये पानी से सेरिसीन निकालने की प्रारंभिक विधि को प्रदर्शित किया गया. कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी ने कहा कि इससे तसर कीटपालकों की आमदनी बढ़ेगी. उनकी आमदनी दोगुनी होगी.