दुमका : गिरी वनवासी कल्याण परिषद से संबद्ध जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ राजकिशोर हांसदा ने नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के संदर्भ में दुमका में पत्रकारों से बातचीत की. कहा कि मंच भारत व भारतीय जनजातीय समुदाय के अधिकारों का समर्थन करता है. पर समर्थन की इस दौड़ में जनजातियों को अंधा होकर अपना विवेक खोने से बचना होगा. यह ध्यान में रखना होगा कि जनजातियों को बरगलाने वाले ही आज हमारी धर्म-संस्कृति को, हमारी पहचान को नष्ट करने में भी सबसे आगे हैं. बहुरूपिये के वेश में, परदे के पीछे कौन क्या कर रहा है, इसे समझने-समझाने की आवश्यकता है.
केंद्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि वे जनजातियों के लिए बने संरक्षण व विकास कानूनों-योजनाओं को दृढ़ इच्छाशक्ति से क्रियान्वित करें. शासन में बैठे वरिष्ठ-जिम्मेदार लोगों को भी तात्कालिक राजनैतिक-आर्थिक लाभों के लोभ से बचते हुए शासन-सरकार की नीतियों-कार्यक्रमों को निष्ठापूर्वक लागू करना चाहिए. तभी संवेदनशील जनजाति क्षेत्रों में शांति व खुशहाली आ सकती है. उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के लिए भूमि-अधिग्रहण व पुनर्वास का काम अधिक संवेदनशील होकर रने की जरूरत है. प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से होनेवाले लाभों में जनजातियों व प्रभावित लोगों की भी हिस्सेदारी सुनिश्चित हो. यह भी प्रतिबद्धता दिखानी होगी. उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 व खान व खनिज (संशोधन) अधिनियम 2015 भी इसी दिशा में उठाया गया. एक सराहनीय कदम बताया. इसके अंतर्गत विस्थापित व प्रभावित लोगों को लाभों में हिस्सेदारी सुनिश्चित की गयी है. जनजातियों को भी अपने अधिकारों की लड़ाई मुखर व संगठित होकर सजग नागरिक के रूप में लड़नी हो. पत्रकार वार्ता में गिरी वनवासी कल्याण परिषद कोषाध्यक्ष अमर कुमार गुप्ता व मीडिया प्रभारी अंजनी शरण मौजूद थे.