रानीश्वर : स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण प्रखंड के एक लाख पांच हजार की आबादी सिर्फ एक ही डॉक्टर के भरोसे है़ यहां दो डॉक्टर पदस्थापित हैं. इसमें एक महीना पहले एक डॉक्टर को साढ़े चार महीने प्रशिक्षण के लिए बोकारो भेज दिया गया है़ एक मात्र डॉक्टर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी है़ उनकों जिस दिन जिलास्तरीय बैठक में या अन्य बैठक में भाग लेने के लिए मुख्यालय से बाहर जाना पड़ता है़ उस दिन रानीश्वर प्रखंड डॉक्टर विहीन प्रखंड बन जाता है़
जानकारी के अनुसार महीने में कम से कम पांच छह दिन विभिन्न बैठक में भाग लेने के लिए उन्हें मुख्यालय छोड़ कर जाना पड़ता है़ इस दिन डॉक्टर नहीं रहते हैं. उस दिन सिर्फ एएनएम के भरोसे अस्पताल रहता है़ इमरजेसी में मरीज आने पर उन्हें बाहर रेफर करने के अलावा दूसरा उपाय भी नहीं है़ रानीश्वर में सीएचसी के अलावा तीन पीएचसी भी है़ तीनों पीएचसी पहले से ही डॉक्टर विहीन है़
प्रखंड मुख्यालय के सीएचसी में कम से कम चार डॉक्टर देने की जरूरत है़ यहां के सभी पीएचसी डॉक्टर विहीन है़
अनिल मरांडी, पूर्व मुखिया
झारखंड में अस्पताल के लिए भव्य भवन निर्माण करा दिया जाता है़ पर सबसे जरूरी डॉक्टर नहीं दिया जाता है़ ग्रामीण मजबूर होकर बंगाल के अस्पताल में इलाज कराने पहुंचते हैं.
सुशील चंद्र मांझी, सरकार प्रतिदिन तरह-तरह की घोषणाएं करते रहती है़ पर जरूरत के अनुसार काम नहीं कर रही है़ रानीश्वर में जरूरत के हिसाब से डॉक्टर नहीं है़ एक डॉक्टर को प्रशिक्षण में भेजे जाने के बदले दूसरा डॉक्टर भी प्रतिनियुक्त नहीं किये गये.
जयदीप सरकार, सुखजोड़ा\
सरकारी अस्पताल नाम मात्र के ही है़ जहां डॉक्टर ही नहीं है़ इलाज करना कैसे संभव हो सकता है़
सयन साहा, बोराडंगाल
कार्यालय के काम से हमेशा बाहर रहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
सीएस से की है मांग
एक डॉक्टर को प्रशिक्षण में भेजे जाने के पहले व बाद में भी यहां अन्य डॉक्टर प्रतिनियुक्ति की मांग सिविल सर्जन से किया गया है़ पर अभी तक दूसरा डॉक्टर प्रतिनियुक्त नहीं किया गया है़ जिस दिन मुख्यालय से बाहर जाना पड़ता है़ उस दिन लोगों को परेशानी होती है़
डॉ प्रीतम कुमार दत्त, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी