कार्रवाई. बीमार का इलाज नहीं करने व ड्यूटी से गायब रहने का मामला
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दो डॉक्टरों से शो-कॉज, प्रभारी के पांच दिनों के वेतन पर लगायी रोक
कार्रवाई. बीमार का इलाज नहीं करने व ड्यूटी से गायब रहने का मामला दुमका / गोपीकांदर : जिले के गोपीकांदर प्रखंड में डायरिया तथा फूड प्वाॅइजनिंग के मामलों में गोपीकांदर के दो चिकित्सकों पर कार्रवाई हो सकती है. गोपीकांदर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बच्चा प्रसाद सिंह एवं चिकित्सक डॉ सुमित […]
दुमका / गोपीकांदर : जिले के गोपीकांदर प्रखंड में डायरिया तथा फूड प्वाॅइजनिंग के मामलों में गोपीकांदर के दो चिकित्सकों पर कार्रवाई हो सकती है. गोपीकांदर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बच्चा प्रसाद सिंह एवं चिकित्सक डॉ सुमित आनंद को सिविल सर्जन डॉ जगतभूषण प्रसाद ने स्पष्टीकरण देने को कहा है. वहीं डॉ बच्चा प्रसाद सिंह के पांच दिनों के वेतन रोकने का भी उन्होंने आदेश जारी कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि डॉ सिंह बिना सूचना के अनाधिकृत रूप से अपने ड्यूटी से गायब थे. इतना ही नहीं वे क्षेत्र ही नहीं जिला मुख्यालय तक से भी बाहर थे. डॉ सुमित आनंद को जब क्षेत्र में डायरिया-फूड प्वाॅइजनिंग के मामले सामने आने की सूचना दी गयी, तो वे समय पर इलाज के लिए क्षेत्र में नहीं गये और न ही आक्रांत मरीजों का इलाज किया. सिविल सर्जन ने इसे स्वेच्छाचारी एवं कर्तव्य के प्रति लापरवाही बताया है. उनके कृत्य को सरकारी कर्मी के आचरण के अनुरूप नहीं बताते हुए कहा गया है कि वे दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण दें कि क्यों नहीं उनके खिलाफ उच्च पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना पर विभाग के उच्चाधिकारी से आवश्यक कार्रवाई करने की अनुशंसा कर दी जाय. डॉ सुमित को दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा है.
डायरिया व फूड प्वाॅइजनिंग में तीन की हो गयी थी मौत
गोपीकांदर के ओड़मो पंचायत के विभिन्न गांवों में पिछले सप्ताह तीन लोगों की मौत हो गयी थी. वहीं दो अन्य की भी मौत की बात परिजनों ने कहा था. हालांकि इन मामलों को फूड प्वॉइजनिंग से जुड़ा बताया गया था. गोपीकांदर के कुंडापहाड़ी एवं शिलंगी इलाके में स्वास्थ्य केंद्रों के बंद रहने से मामूली चिकित्सीय सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हो पाती हैं. प्रभात खबर ने शिलंगी और कुंडापहाड़ी के स्वास्थ्य उपकेंद्रों की बदहाली पर रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी. तब भी प्रशासन ने और स्वास्थ्य महकमा ने गंभीरता से नहीं लिया था और व्यवस्था के सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाये थे.
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