उदासीनता. समितियां नहीं कर रही पहल, विभाग ने भी साधी चुप्पी
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पेयजलापूर्ति योजनाओं ने तोड़ा दम
उदासीनता. समितियां नहीं कर रही पहल, विभाग ने भी साधी चुप्पी 2012 में दुमका के 24 गांवों में पाइप लाइन के माध्यम से घर-घर पानी पहुंचाने की योजना की शुरुआत की गयी थी वर्तमान में अधिकांश योजनाएं बंद पड़ी हैं दुमका : पेयजल स्वच्छता विभाग द्वारा गांवों में पांच साल पहले शुरू की गयी मिनी […]
2012 में दुमका के 24 गांवों में पाइप लाइन के माध्यम से घर-घर पानी पहुंचाने की योजना की शुरुआत की गयी थी
वर्तमान में अधिकांश योजनाएं बंद पड़ी हैं
दुमका : पेयजल स्वच्छता विभाग द्वारा गांवों में पांच साल पहले शुरू की गयी मिनी जलापूर्ति योजनाएं दम तोड़ रही है. निर्माण के बाद इन योजनाओं का संचालन ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को करना था, पर समितियां इस ओर कोई पहल नहीं कर रही है और विभाग भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. 2012 में दुमका के 24 गांवों में पाइप लाइन के माध्यम से घर-घर पानी पहुंचाने की योजना की शुरुआत की गयी थी. प्रत्येक योजना की लागत लगभग 20-20 लाख रुपये की थी.
अधिकांश योजनाएं बंद पड़ी हैं. कहीं मोटर जल गया है, तो कहीं सोलर पावर यूनिट ही खराब पड़ा हुआ है. इसमें गांव में ही डीप बोरिंग कर उसमें सौर ऊर्जा द्वारा संचालित पंप लगा कर घर-घर पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने की इस योजना का लाभ उपराजधानी के शहरी क्षेत्र से ही सटे दो प्रमुख गांवों में नहीं मिल रहा. आसनसोल व हथियापाथर में योजना ठप है. आसनसोल में सोलर प्लेट आंधी में उड़ गया, तो हथियापाथर में बोरिंग ही फेल रही. दूसरे गांवों में कहीं पाइप और नल टूट-फूट गये हैं.
िदलाया 2.41 लाख का क्लेम
दुमका : दुमका के उपभोक्ता फोरम ने मंगलवार को तीन वादकारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके द्वारा किये गये क्लेम को लेकर भुगतान करवाया है. पहले मामले में मां काली सॉ मील के प्रोपराइटर पवन कुमार पटवारी को 1.71 लाख रुपये का चेक का भुगतान किया गया, जबकि दूसरे में मामले में गिरधारी प्रसाद मंडल को 34 हजार 324 रुपये का और तीसरे मामले में विजय कुमार यादव को 35 हजार रुपये का भुगतान कराया गया. मां काली सॉ मील में 13 अप्रैल 2012 को आग लग गयी थी.
उन्होंने मील का न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 6 लाख रुपये में प्रतिष्ठान का बीमा करा रखा था. श्री पटवारी ने बीमा कंपनी के समक्ष क्षतिपूर्ति का क्लेम किया था. सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट 1.42 लाख रुपये का आकलन किया था, जिसपर श्री पटवारी राजी नहीं हुए थे और उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर न्याय दिलाने की गुहार लगायी थी. फोरम ने 3.34 लाख रुपये का भुगतान करने आदेश इंश्योरेंस कंपनी को दिया था. बाद में इस फैसले पर इंश्योरेंस कंपनी राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील में चली गयी और अपील में उन्हें 1.71 लाख रुपये का भुगतान का आदेश जारी किया गया. इसी राशि के चेक का भुगतान कराया गया.
वहीं अधिवक्ता गिरधारी प्रसाद मंडल ने अपनी पत्नी का बीमा एलआइसी में कराया था. बीमा एक लाख रुपये की थी, जिसे उन्होंने 7 अगस्त 1995 को खरीदा था. 17 नवंबर 1995 को उनकी पत्नी का देहांत हो गया. एलआइसी ने उक्त क्लेम को खारिज कर दिया, जिसपर श्री मंडल फोरम की शरण में आये. उन्हें फोरम ने 1 लाख रुपये की बीमिता राशि को 12 प्रतिशत सूद के साथ भुगतान करने का आदेश सुनाया था. इस मामले में एलआइसी भी अपील में राज्य उपभोक्ता फोरम चली गयी थी, जहां अपील को मंजूर कर लिया गया था. इसके खिलाफ गिरधारी मंडल राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में पुनरीक्षण के लिए वाद दायर किया और वहां 2.82 लाख रुपये का आदेश किया गया. जिसमें एलआइसी ने 18452 रुपये रुपये टीडीएस काट लिया. इसपर श्री मंडल ने पुन: उपभोक्ता फोरम दुमका में इजराई वाद दायर किया. फोरम ने 34324 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया. एक अन्य मामले में सरैयाहाट के विजय कुमार यादव को 35 हजार रुपये का चेक फोरम के अध्यक्ष रामनरेश मिश्रा ने प्रदान किया. सरैयाहाट ओरियेंटल इंश्योरेंस से गाय की बीमा करायी थी. गाय की मौत के बाद 30 हजार रुपये बीमा राशि के अलावा चार हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में तथा 1000 रुपये वाद खर्च के रूप में उन्हें दिया गया.
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