दुमका : आयुष औषधालय में कलस्टर प्वाइंट बनाकर दो साल से होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक औषधियां कमरे में बंद करके रखी गयी है और मरीज केवल चिकित्सीय परामर्श के लौट जाने को मजबूर हैं. ये दवाइयां लाखों की है और इसे चार-पांच कमरों में रखा गया है. एनआरएचएम मद से इन दवाइयों की खरीद 2015 में ही हुई थी. बाद में और दवाइयां इस साल अर्थात 2017 के मार्च महीने में खरीदी गयी. होमियोपैथी की दवाइयां वेपोराइज होकर उड़ रही है, तो वहीं आयुर्वेदिक दवाइयां चूहे खा रहे.
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मरीजों को दवा नसीब नहीं, चूहे खाकर मस्त
दुमका : आयुष औषधालय में कलस्टर प्वाइंट बनाकर दो साल से होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक औषधियां कमरे में बंद करके रखी गयी है और मरीज केवल चिकित्सीय परामर्श के लौट जाने को मजबूर हैं. ये दवाइयां लाखों की है और इसे चार-पांच कमरों में रखा गया है. एनआरएचएम मद से इन दवाइयों की खरीद 2015 में […]
नहीं किया जा रहा उठाव : एनआरएचएम द्वारा जिन पांच केंद्रों के लिए दवाइयों को मंगवाया गया था, उनमें सीएचसी आसनबनी, पीएचसी चीताडीह, सीएचसी जामा, पीएचसी हरिपुर एवं पीएचसी नारगंज शामिल हैं. हरिपुर व आसनबनी के लिए होमियोपैथिक औषधि, नारगंज व जामा के लिए आयुर्वेदिक व चीताडीह के लिए यूनानी दवाइयां आपूर्ति की गयी है. वहीं आयुष विभाग से मार्च महीने में जामा, शिकारीपाड़ा व काठीकुंड में आयुर्वेदिक औषधालयों के लिए दवा की खरीद हुई थी.
इसका भुगतान नहीं हुआ है. ऐसे में इस दवा का उपयोग भी नहीं हो पा रहा है. दवाओं का दो साल से उठाव नहीं होने से एक सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या इन दवाइयों की जरूरत ही नहीं थी, या फिर आयुर्वेदिक या होमियोपेथिक के डाॅक्टर कहीं एलोपैथिक दवाइयां तो पीएससी-सीएचसी में ओपीडी में बैठकर तो लिखने नहीं लगे. दो साल में दवाइयों का उठाव नहीं होना कई तरह के सवाल पैदा कर रहे हैं, जिसकी जांच जरूरी है.
चिकित्सकों के चेंबर बन गये गोदाम : इस संयुक्त औषधालय में चिकित्सकों के लिए निर्धारित किये गये कक्ष में ही औषधियों का भंडारण किया गया है. इन चेंबर के बंद रहने से चिकित्सकों को मरीज को कंपाउंडर के कक्ष में देखना पड़ता है. राज्य बनने के बाद बने इस भवन की छत में दरारें दिख रही है. बरसात में छत रिसने की वजह से अधिकांश पंखे जल चुके हैं.
12 राजकीय औषधालयों में से 10 में चिकित्सक नहीं, लोगों को हो रही इलाज कराने में परेशानी
बदहाल है आयुष की व्यवस्था
उपराजधानी दुमका में जिले के आयुष चिकित्सालयों-औषधालयों का हाल बुरा है. जिला मुख्यालय में जिला संयुक्त औषधालय है, इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में 12 औषधालय हैं. जिला संयुक्त औषधालय में तीन में से दो चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. जबकि 12 राजकीय औषधालयों में से 10 में तो चिकित्सक ही नहीं हैं. आठ औषधालय तो इसलिए बंद रहते हैं कि अब उसे देखने वाला कंपाउंडर तक नहीं है. विभाग में पंद्रह चिकित्सकों के विरुद्ध जो तीन चिकित्सक हैं,
उनमें एक डॉ चंद्रशेखर प्रसाद हैं, जो जामा में मूलरूप से आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में पदस्थापित हैं व जिला आयुष पदाधिकारी के प्रभार में हैं. दूसरे हैं डॉ एनके सिंह, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी के तौर पर पिछले सप्ताह जिला संयुक्त औषधालय में आये हैं. वहीं डॉ दयाशंकर चौरसिया राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय काठीकुंड में पदस्थापित हैं. डॉक्टर हैं, पर इन केंद्रों में पर्याप्त दवाइयां नहीं है.
कहां-कहां खाली पड़े हैं चिकित्सक के पद
केंद्र सृजित कार्यरत रिक्त
जिला संयुक्त औषधालय, दुमका 03 01 02
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, जामा 01 01 00
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, अमरपुर 01 00 01
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, काठीकुंड 01 01 00
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, गोपीकांदर 01 00 01
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, शिकारीपाड़ा 01 00 01
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, कुरुवा 01 00 01
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, रानीश्वर 01 00 01
राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय, कठलिया 01 00 01
राजकीय होमिपैथिक औषधालय, बासुकिनाथ 01 00 01
राजकीय होमिपैथिक औषधालय, रामगढ़ 01 00 01
राजकीय होमिपैथिक औषधालय, शिकारीपाड़ा 01 00 01
राजकीय यूनानी औषधालय, हंसडीहा 01 00 01
बोले पदाधिकारी
कई बार हमलोगों द्वारा इसके लिए पत्राचार किया गया है, लेकिन उठाव नहीं किया जा रहा है. होमिपैथिक दवाइयां तो स्प्रीट से बनी होती है. उड़कर खत्म हो जाने का डर बना रहता है. मरीजों को दवा मिलनी चाहिए, तभी उसका सदुपयोग होगा.
– डॉ चंद्रशेखर प्रसाद, प्रभारी जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी, दुमका
ये दवाइयां एनआरएचएम से खरीदी गयी है. पीएचसी-सीएचसी के लिए खरीदी गयी थी. हमारे यूनिट के लिए दवा नहीं है. दवा रहने पर रोगियों की संख्या अत्यधिक पहुंचती है, लेकिन अभी दवा नहीं रहने पर एक दिन में पांच-सात मरीज ही आते हैं और चिकित्सीय परामर्श लेकर लौट जाते हैं.
– डॉ एनके सिंह, आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी
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