बस्ती के लोग कहते हैं कि उनलोगों के लिए दोनों शाम भोजन जुटाना मुश्किल है. नगर निगम का टैक्स कहां से भरें. जितना प्रोपर्टी टैक्स लगाया जा रहा है, उतना चूकता करने के लिए पूर्वजों की खेत तक बेचनी पड़ जायेगी. बस्ती में एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं है. बस्ती वाले खुद कभी-कभी बल्ब खरीद कर लगाते हैं. कोई आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. सफाई के लिए कभी सरकारी कर्मी यहां नहीं आते.
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बस्ती का तन ढंकने को वस्त्र नहीं, कहां से दें टैक्स नहीं चाहिए निगम, हमें पंचायत लौटा दे सरकार
धनबाद: सिंदरी शहर से लगभग आठ किलोमीटर दूर सीधाटांड़ बस्ती की हालत देख कर लगता है कि पंचायतों को निगम क्षेत्र बनाने में कितनी गड़बड़ी हुई. मुख्य सड़क से सटी इस बस्ती में अब भी लोग पगडंडी के सहारे चल रहे हैं. पगडंडी के किनारे गाय, बकरी चर रही हैं. आदिवासी बहुल इस बस्ती में […]
धनबाद: सिंदरी शहर से लगभग आठ किलोमीटर दूर सीधाटांड़ बस्ती की हालत देख कर लगता है कि पंचायतों को निगम क्षेत्र बनाने में कितनी गड़बड़ी हुई. मुख्य सड़क से सटी इस बस्ती में अब भी लोग पगडंडी के सहारे चल रहे हैं. पगडंडी के किनारे गाय, बकरी चर रही हैं. आदिवासी बहुल इस बस्ती में महिलाएं भी पूरा तन कपड़ा नहीं पहन पा रही हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
निगम से तो बेहतर पंचायत थी. सरकार हम लोगों को वापस पंचायत में ही भेज दे. निगम का टैक्स देना हम लोगों के बूते नहीं है. कोई सुविधा भी नहीं है. आज भी हम लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
वीरेंद्र हेंब्रम, ग्रामीण
कोई सुविधा नहीं है. चापानल पानी के खाना बनाते व नहाते हैं. गरीबों के कल्याण के लिए कोई योजना नहीं चलती. निगम से कोई फायदा नहीं हुआ. बल्कि टैक्स का बोझ ही बढ़ा है.
सुवन देवी, ग्रामीण महिला.
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