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बच्चों की जगह जानवरों का कुपोषण दूर कर रहा पोषाहार
धनबाद : कुपोषण दूर करने के लिए बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषाहार दे रहा है. लेकिन जरूरत मंद बच्चों की जगह यह पोषाहार पशुपालकों के पास पहुंच रहा है. हीरापुर, धैया, मटकुरिया सहित कई जगहों पर पोषाहार के खाली पैकेट खटालों के आसपास देखने को मिल रहे हैं. पशुपालक इन पोषाहार […]
धनबाद : कुपोषण दूर करने के लिए बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषाहार दे रहा है. लेकिन जरूरत मंद बच्चों की जगह यह पोषाहार पशुपालकों के पास पहुंच रहा है. हीरापुर, धैया, मटकुरिया सहित कई जगहों पर पोषाहार के खाली पैकेट खटालों के आसपास देखने को मिल रहे हैं. पशुपालक इन पोषाहार को 15 से 25 रुपये में खरीद कर अपने मवेशियों को खिलाते हैं. आंनबाड़ी केंद्रों का एक तबका सेटिंग-गेटिंग से पोषाहार की काला बाजारी में लगा है. बता दें कि पोषाहार को फोर्टिफाइड पंजीरी फूड कहते हैं. किसी भी प्रकार से इसकी बिक्री अपराध है.
30 प्रतिशत केंद्रों में फरजी लाभुक, हो रहा सर्वे : आंगनबाडी़ केंद्रों में लाभुकों के लिए आंकड़ेबाजी नयी बात नहीं है. विभागीय पदाधिकारी भी गड़बड़ी की बात नकारते नहीं है. एक अनुमान के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में 30 प्रतिशत लाभुक फरजी होते हैं. रजिस्टर में नाम, पता डालकर इसके नाम से पोषाहार व अन्य लाभ की बंदरबांट होती है. इसी फरर्जीवाड़े को देखते हुए विभाग पोषक क्षेत्र के लोगों का नये सिरे से सर्वे करा रहा है. इसमें वास्तविक लाभुकों के सही आकड़े लिये जा रहे हैं.
अधिक दूध के लालच में लेते हैं पशुपालक : सूत्रों ने बताया कि जानवर को पोषाहार देने पर दूध अधिक होता है. तय मात्रा से अधिक दूध देने के कारण इसे लोग खरीदते हैं. हालांकि बिक्री गैरकानूनी होने के कारण पशुपालक इसे चोरी छुपे लेते हैं. बीमार या कमजोर पशुओं को भी इसे दिया जाता है.
पोषाहार का क्रय-विक्रय दंडनीय अपराध है. ऐसी कोई शिकायत विभाग को नहीं है. हालांकि किसी भी प्रकार से ऐसे मामले में सूचित करें, संबंधित पर कानूनी कार्रवाई होगी. वास्तविक लाभुक को लेकर सर्वे चल रहा है.
हेमा प्रसाद, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी.
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