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बड़े खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाने के लिए हो रहा सीएमपीएफ का विलय !

धनबाद: कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) के इपीएफओ में विलय के सवाल पर घमसान मचा हुआ है. मजदूर संगठनों के लिए यह 10वें वेतन समझौता से भी बड़ा मुद्दा बन गया है. इस विलय के खिलाफ पांच मजदूर यूनियनों ने 19 जून से तीन दिवसीय हड़ताल का नोटिस भी दे दिया है. इस होने […]

धनबाद: कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) के इपीएफओ में विलय के सवाल पर घमसान मचा हुआ है. मजदूर संगठनों के लिए यह 10वें वेतन समझौता से भी बड़ा मुद्दा बन गया है. इस विलय के खिलाफ पांच मजदूर यूनियनों ने 19 जून से तीन दिवसीय हड़ताल का नोटिस भी दे दिया है. इस होने वाले विलय पर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. लेकिन, इन सबके बीच एक अहम सवाल यह है कि आखिर सरकार क्यों विलय कराना चाहती है और विलय पर इतनी तेजी क्यों ?
यह है मामला : कोयला मंत्रालय के सूत्र के मुताबिक कोल इंडिया में कार्यरत अाउटसोर्सिंग कंपनियों को सीएमपीएफ से परेशानी है. वह चाहते हैं कि उनके मजदूर इफीएफओ से जुड़े. सीएमपीएफ से जुड़ने पर उन्हें मजदूरों के पीएफ के साथ पेंशन की राशि भी समय पर जमा करनी पड़ रही है. नये कमिश्नर श्री पंडा की कोशिश है कि सभी ठेका मजदूर सीएमपीएफ से जुड़े. इसको लेकर एक आउटसोर्सिंग कंपनी जीएमआर ने भुवनेश्वर हाइकोर्ट में मुकदमा दायर किया है. इतना ही नहीं, इपीएफओ में लगभग 18 करोड़ खाते हैं, पर साढ़े तीन करोड़ खाते ही नियमित संचालित हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि वहां अनियमितताएं अधिक हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इसीएल के राजमहल क्षेत्र के ललमटिया में 29 दिसबंर 2016 को हुई खान दुर्घटना में 23 मजदूरों की मौत हुई थी. उनका कोई हिसाब-किताब नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार-झारखंड के लोग नौकरी करने दिल्ली जाते हैं. वे अब मालिक से कहते हैं कि पचास सौ रुपया आप ही रख लीजिए, लेकिन इपीएफओ में जमा मत करिए. विलय का एक और प्रमुख कारण है व्यावसायिक खनन.
सरकार की दूरदृष्टि : केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2015 को कोयला खान (विशेष प्रवधान) अधिनियम 2015 को राज्यसभा से पारित कराया था. 30 मार्च 2015 को राष्ट्रपति ने इसे अधिसूचित किया. कोयला मंत्रालय कोयला खदानों को व्यावसायिक खनन के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी करने जा रही है. इसके लिए 26 मार्च 2017 को पब्लिक डोमेन में एक चर्चा पत्र डाल कर हितधारकों से विचार आमंत्रित किये गये.10 अप्रैल 2017 को कोयला मंत्रालय ने एक बैठक आयोजित की. उसमें बड़े अधिकारियों के साथ अडाणी, जिंदल, टाटा जैसे लगभर दर्जन भर बड़े खिलाडियों ने भाग लिया. उस बैठक के बाद कोल मंत्रालय कोल ब्लॉक के ऑक्शन के लिए नियम बना रहा है. सूत्र बताते हैं कि व्यवसायिक खनन करने वालों को सीएमपीएफ की कोई समस्या न रहे. मतलब कोयला उद्योग में बड़े खिलाडियों की परेशानी को दूर करने के लिए सीएमपीएफ का इपीएफओ में विलय किया जा रहा.
बैठक 14-15 को : सीएमपीएफ के विलय के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा छह सदस्यीय कमेटी की बैठक 14-15 मई को दिल्ली में होगी. इसकी एक बैठक एक मई को हो चुकी है. पहली बैठक के बाद चार मई को विलय के विचार पर कानूनी राय के लिए प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा जा चुका है.

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