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रैंकिंग में सुधार, लेकिन अभी भी बहुत कुछ है करना
देश भर के 434 शहरों की स्वच्छता रैकिंग में धनबाद को 109वां स्थान मिला है. धनबाद के लिए यह बड़ी उपलब्धि है, लेकिन रैंकिंग में और सुधार की जरूरत है. कचरा प्रबंधन में आज भी हम काफी पीछे हैं. सफाई पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन उसका रिजल्ट नहीं दिख रहा है. सात साल […]
देश भर के 434 शहरों की स्वच्छता रैकिंग में धनबाद को 109वां स्थान मिला है. धनबाद के लिए यह बड़ी उपलब्धि है, लेकिन रैंकिंग में और सुधार की जरूरत है. कचरा प्रबंधन में आज भी हम काफी पीछे हैं. सफाई पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन उसका रिजल्ट नहीं दिख रहा है. सात साल बीत गये लेकिन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को धरातल पर नहीं उतारा जा सका. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की स्थिति और भी खराब है. मुश्किल से दो माह भी यह योजना नहीं चली. ओडीएफ में आज भी हम काफी पीछे हैं. दो साल बीतने के बाद भी मात्र बीस हजार ही शौचालय बना पाये. यही स्थिति अन्य योजनाओं की भी है.
धनबाद : स्वच्छता के मामले में धनबाद की स्थिति सुधरी है. पिछले साल उसे देश का सबसे गंदा शहर घोषित किया गया था. लेकिन इस साल देश भर के 434 शहरों में धनबाद को 109 वां स्थान मिला है. धनबाद ने राजधानी रांची को पछाड़ राज्य में छठे स्थान पर जगह बना ली है.
गुरुवार को शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 का परिणाम घोषित किया. दो हजार अंकों पर हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में धनबाद को कुल 1218.55 अंक मिले हैं. जबकि पिछले साल मात्र 464 अंक ही मिले थे. पिछले साल 10 लाख आबादी वाले 73 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ था, इसमें धनबाद सबसे अंतिम पायदान पर था. इस साल एक लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहर को चुना गया. स्वच्छता सर्वेक्षण में बंगाल राज्य के एक भी नगर निकाय शामिल नहीं हुए. लिहाजा 434 शहरों पर स्वच्छता की रैंकिंग की गयी.
106 शहर पहले हो चुके थे ओडीएफ: 500 में 106 शहर पहले से ओडीएफ थे. ओडीएफ पर 150 अंक निर्धारित थे. ओडीएफ नहीं होने के कारण निगम को 150 अंकों से हाथ धोना पड़ा. लिहाजा 106 शहर के बाद ही धनबाद की रैंकिंग होनी थी. चास पांच हजार शौचालय बनाकर ओडीएफ हो गया. जबकि धनबाद में 20 हजार शौचालय बनाने के बावजूद एक भी वार्ड ओडीएफ नहीं हो पाया. लिहाजा 100 की रैंकिंग से बाहर होना पड़ा
मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने कहा कि रिजल्ट और अच्छा हो सकता था. हालांकि पिछले साल से रिजल्ट बेहतर है. जब तक धनबाद की पब्लिक सहयोग नहीं करेगी तब तक धनबाद को क्लीन बनाना संभव नहीं है. निगम में मेन पावर व संसाधन की कमी है. निगम क्षेत्र में 60 प्रतिशत एरिया बीसीसीएल के क्षेत्र में है. बीसीसीएल अपने तरीके से बाज नहीं आ रहा है. न तो सफाई में सहयोग कर रहा है और न ही प्रोपर्टी टैक्स दे रहा है. बीसीसीएल का प्रोपर्टी टैक्स नहीं देना धनबाद के लिए धब्बा है.
बीसीसीएल के अधिकारियों को अपने से मतलब होता है. बीसीसीएल सहयोग करता तो रिजल्ट और बेहतर होता. यूएलबी पर सरकार भी ध्यान नहीं देती. अगर सरकार यूएलबी पर ध्यान देती तो और भी रैंकिंग अच्छी होती. पिछले साल गंदे शहर के दाग लगने से डिप्रेशन में था. इस स्थिति से बाहर निकलना और रिजल्ट अच्छा करना ही एकमात्र लक्ष्य था. निगम के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के टीम वर्क की बदौलत रैंकिंग में सुधार आया. आनेवाले समय में और भी बेहतर करने की कोशिश होगी.
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