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एक बूंद पानी नहीं, सपना ओडीएफ का

सरकारी अभियान का हाल .नियमों को ताक पर रख की भारी वित्तीय गड़बड़ी गोविंदपुर के हुचुकटांड़ में 50 में 20 घर में शौचालय फिर भी पूरा गांव खुले में जा रहा शौच संजीव झा धनबाद : खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के लिए ऊपर से ले कर नीचे तक प्रेशर है. कुछ जगह प्रेशर […]

सरकारी अभियान का हाल .नियमों को ताक पर रख की भारी वित्तीय गड़बड़ी
गोविंदपुर के हुचुकटांड़ में 50 में 20 घर में शौचालय
फिर भी पूरा गांव खुले में जा रहा शौच
संजीव झा
धनबाद : खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के लिए ऊपर से ले कर नीचे तक प्रेशर है. कुछ जगह प्रेशर तो कुछ स्थानों पर लूट की बेचैनी में इस योजना का बंटाधार हो रहा है. जैसे-तैसे शौचालय बना कर बिल उठा लिया जा रहा है. लाभुकों को चवन्नी तक नहीं मिल रही. जबकि शौचालय निर्माण की राशि लाभुक के बैंक खाता में डाली जानी है.
कैसी-कैसी गड़बड़ी : गोविंदपुर प्रखंड के उदयपुर पंचायत के हुचुकटांड़ गांव में ओडीएफ के नाम पर केवल लूट-खसोट हुआ. 50 घर की इस बस्ती में स्थानीय मुखिया द्वारा 20 शौचालय का निर्माण कराया गया है.
एनएच टू से लगभग पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में पानी का कोई स्रोत नहीं है. एक कुआं है जो पूरी तरह सूख चुका है. मनरेगा से एक डोभा की खुदाई हुई थी वह तो बेकार हो चुका है. कोई चापाकल भी नहीं है. अधिकांश परिवार बीपीएल हैं. ग्रामीणों के अनुसार पीने व खाना बनाने के लिए पानी लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक चिमनी भट्ठा से लाना पड़ता है. जब पानी ही नहीं है तो शौचालय का इस्तेमाल कैसे करेंगे. इसके चलते सभी ग्रामीण खुले में ही शौच जाने को मजबूर हैं.
बिना नींव के ही बना दिया शौचालय: इस गांव में शौचालय निर्माण में भारी गड़बड़ी हुई है. ग्रामीणों की मानें तो बिना नींव खोदे ही जैसे-तैसे बंगला भट्ठा वाली ईंट से शौचालय बना दिया गया. सीमेंट की मात्रा भी बहुत कम है. अभी से ही कई निर्माण क्रेक हो चुके हैं. जो स्थिति है कि तेज आंधी-बारिश में कई शौचालय कभी भी गिर सकते हैं. निर्माण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है. कई का काम आधा-अधूरा है. कई शौचालय के लिए सेफ्टी टैंक जो बनाया गया है उसमें ढक्कन तक नहीं लगा है. सेफ्टी टैंक में छोटे बच्चे नहीं गिरें इसके लिए ग्रामीणों ने उसे कंटीली डालियों से ढक दिया है. साथ ही शौचालय का उपयोग बच्चे खेलने के लिए करते हैं या फिर उसमें बकरी बांध दिया जाता है.
शौचालय निर्माण में लाभुक के खाता में ही राशि देना अनिवार्य है. अगर मुखिया या किसी सरकारी कर्मी ने गड़बड़ी की है तो इसकी जांच करायी जायेगी. साथ ही निर्माण में गड़बड़ी की भी जांच होगी. दोषियों के खिलाफप्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.
गणेश कुमार, डीडीसी सह नोडल पदाधिकारी ओडीएफ, धनबाद.
शौचालय निर्माण के लिए आयी राशि खत्म हो चुकी है. जो लाभुक खुद से शौचालय बनवाते हैं उन्हें राशि दे देती हूं. जो काम नहीं करा पाते हैं तब हम लोग (मुखिया, वार्ड मेंबर) मिल कर उनका काम करवा देते हैं. राशि खत्म होने के कारण हुचुकटांड़ गांव में कई शौचालय निर्माण का काम अब भी अधूरा है.
निर्मला देवी, मुखिया, उदयपुर पंचायत
मुखिया ने शौचालय निर्माण के नाम पर एक रुपया नहीं दिया. मुखिया पति ने कहा था कि मजदूरी मिलेगी. वह भी नहीं दी. जैसे-तैसे काम करा कर भाग गये. पानी की गंभीर किल्लत है. पीने, खाने के लिए भी पानी बहुत दूर से ढो कर लाना पड़ता है. एेसे में शौचालय का कैसे उपयोग करेंगे.
बाहामुनी देवी, लाभुक
आधा-अधूरा शौचालय बना कर छोड़ दिया गया है. सेफ्टी टंकी निर्माण के लिए मिट्टी का काम भी हम लोगों से ही कराया गया. लेकिन आज तक एक पैसा नहीं दिया. जबकि बैंक ऑफ इंडिया में बचत खाता भी खुलवाया गया.
राम महली, लाभुक

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