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बहू हो तो सीता जैसी : शालिनी त्रिपाठी

धनबाद. मानस प्रचार समिति की ओर से मानस मंदिर जगजीवन नगर में आयोजित सैंतालिसवें महाधिवेशन पर आयोजित नवाह्न परायण के समापन पर वाराणसी से आयी साध्वी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि लोग इस बात को भूल जाते हैं कि उन्हें जाना कहां है, करना क्या है और धरती से जाते समय वह क्या साथ लेके […]

धनबाद. मानस प्रचार समिति की ओर से मानस मंदिर जगजीवन नगर में आयोजित सैंतालिसवें महाधिवेशन पर आयोजित नवाह्न परायण के समापन पर वाराणसी से आयी साध्वी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि लोग इस बात को भूल जाते हैं कि उन्हें जाना कहां है, करना क्या है और धरती से जाते समय वह क्या साथ लेके जायेंगे. रामचरित मानस की बहुओं ने और माताओं ने अपनी त्याग तपस्या और सेवा से वह कर दिखाया जिससे उजड़ी हुई अयोध्या बस गयी.

जबकि दुर्योधन ने स्वार्थ का ऐसा नाटक रचा कि भारत वर्ष की संपत्ति और संस्कृति दोनों नष्ट हो गयी. दुर्योधन जैसा नहीं भरत जैसा भाई ही देश को बचा सकता है. धन्य है माता कैकेयी जिसने भरत जैसे भाई को जन्म दिया. चित्रकूट में जानकी जी रात भर सभी माताओं के चरण दबाती हैं. बहू हो तो सीता जैसी सास हो तो कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा जैसी. जिस सास ने जेल भेजा उनके प्रति भी सम्मान का भाव था.

हवन पूर्णाहुति के साथ कथा संपन्न : शनिवार की सुबह आचार्य देवी प्रसाद पांडेय के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बड़ी संख्या में भक्तों ने कथा स्थल की परिक्रमा की. सुबह भगवान राम का राज्याभिषेक किया गया. उन्हें तिलक लगाते ही जय श्री राम से कथा स्थल गूंज उठा. हवन पूर्णाहुति के साथ नौ दिनों से चल रहे नवाह्न परायण का समापन हो गया. मौके पर गण्यमान्य लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के सदस्यगण सक्रिय थे.

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