उन्होंने बताया कि जेई बहुत खतरनाक बीमारी है. यह एक साल से पंद्रह साल के बच्चों में फैलती है. एक आंकड़ा के हिसाब से इस बीमारी से ग्रसित 30 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है. जो बच जाते हैं वे मानसिक रूप से अपंग हो जाते हैं. डॉ चंद्रांबिका श्रीवास्तव ने बताया कि झरिया में जेइ का टीका लगा कर बच्चों के बीमार होने की बात अफवाह है. 17 बच्चों काे टीका लगवाया गया था और बीमार होने की सूचना 20 बच्चों को थी. जांच करने पर पता चला कि वह दूसरे कारण से बीमार हुए थे. सीएस ने बताया कि बच्चों को टीके दिलवाने में कतिपय अभिभावक अनावश्यक घबरा रहे हैं. पूरे जिले में 10 लाख बच्चों को 15 दिनों के अंदर टीका देना है. मगर मात्र 64 हजार बच्चों को ही टीका दिया जा सका है.
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सिविल सर्जन ने की आमलोगों से अपील, अभिभावक बच्चों को जेइ का टीका लगवाने से घबरायें नहीं
धनबाद. जापानीज इंफेलाइटीज (जेइ) जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए सरकार ने इसका टीका बच्चों को देने का फैसला किया है. इसे गंभीरता से लिया गया है. लोग इससे जुड़ें, भय न करें, यह बच्चों के भविष्य के लिए ठीक है. उक्त अपील सिविल सर्जन डॉ चंद्रांबिका श्रीवास्तव ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर आम […]
धनबाद. जापानीज इंफेलाइटीज (जेइ) जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए सरकार ने इसका टीका बच्चों को देने का फैसला किया है. इसे गंभीरता से लिया गया है. लोग इससे जुड़ें, भय न करें, यह बच्चों के भविष्य के लिए ठीक है. उक्त अपील सिविल सर्जन डॉ चंद्रांबिका श्रीवास्तव ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर आम लोगों से की.
बारिश में फैलती है बीमारी : डॉ चंद्रांबिका श्रीवास्तव ने बताया कि यह बीमारी बारिश में तेजी से फैलती है. इसके बाद इसे रोकना मुश्किल हो जाता है. एक बार यह बीमारी किसी को हो जाये तो लगभग उसकी मौत तय है. 15 दिनों के भीतर उनकी कोशिश है कि सभी बच्चों को जेई का टीका लगवा दिया जाए.
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