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जीवन का उद्देश्य लोक कल्याण होना चाहिए : शालिनी त्रिपाठी
धनबाद: जीवन का उद्देश्य लोक कल्याण होना चाहिए. हर व्यक्ति को अपना काम समय पर करना चाहिए, राष्ट्र तभी समृद्ध होगा. धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए. धर्म आधारित राजनीति हो तो बुरी बात नहीं है. धर्म जोड़ना जानता है, तोड़ना नहीं. ये बातें वाराणसी से आयी साध्वी शालिनी त्रिपाठी ने भक्तों से नवाह्न परायण […]
धनबाद: जीवन का उद्देश्य लोक कल्याण होना चाहिए. हर व्यक्ति को अपना काम समय पर करना चाहिए, राष्ट्र तभी समृद्ध होगा. धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए. धर्म आधारित राजनीति हो तो बुरी बात नहीं है. धर्म जोड़ना जानता है, तोड़ना नहीं. ये बातें वाराणसी से आयी साध्वी शालिनी त्रिपाठी ने भक्तों से नवाह्न परायण के आठवें दिन शुक्रवार को कही.
सबको हृदय में स्थान मिले : केवट प्रसंग पर भक्तों से कहा केवट भगवान श्रीराम का पैर धोकर नाव पर चढ़ाना चाहते थे, लेकिन लक्ष्मण इसका विरोध कर रहे थे. लक्ष्मण कहते हैं कि यदि केवट आज्ञा नहीं मानता है तो हम उसे तीर मार देंगे. इस पर श्री राम कहते हैं कि सामाजिक समरसता के लिए जरूरी है सबको हृदय में स्थान दिया जाये. ऊंच-नीच का भेद मिटाकर सबको आगे बढ़ने का मौका दिया जाये.
आभूषण पति, स्वर्ण नहीं : माताओं को संदेश देते हुए कहा कि महिलाएं पति के लिए सब कुछ करती हैं, लेकिन पति की कही बातों को नजरअंदाज करती है. इस संबंध में उन्होंने संत हठ, बाल हठ और स्त्री हठ पर प्रकाश डाला. हमारा स्वर्ण के प्रति आकर्षण हमें दुख में डाल देता है. स्वर्ण मृग की लालच में पड़ने के कारण सीता स्वर्ण की लंका में दुख भोगती रही. नारी का आभूषण उसका पति होता है, स्वर्ण नहीं.
धन की तीन गति : धन की तीन गति होती है दान, योग और नाश. अत: धन का उफयोग करें या दान करें इसका दुरुपयोग न करें. व्यक्ति का रूप सुंदर हो या न हो उसकी वृत्ति सुंदर होनी चाहिए. हनुमान जी की वृत्ति सुंदर है पर मारीच ने अपना रूप सुंदर बना लिया था. उसकी कपट की भावना के कारण उसका नाश हुआ.
संयम से काम लें तो सुखी होगा जीवन : हेमंत
मौके पर आचार्य हेमंत तिवारी ने कहा कि श्रीराम तैरना नहीं तारना जानते हैं. वे दीन दुखियों को दुखों से छुटकारा दिलाना जानते हैं. केवट समाज में वह स्थान चाहता है, जो उसे जन्म जन्मांतर तक नहीं मिला है. श्री राम उसे पद प्रक्षालन करने देते हैं और उसके सिर पर हाथ रखते हैं. राम के इस व्यवहार से समग्र परिवार खुश होता है. इस संसार रूपी सागर में मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह न जानें कितने जंजालों में फंसा रहता है. उसका जीवन सुख दुख रूपी ज्वार भाटे की तरह उठता गिरता रहता है. इन सांसारिक बंधनों में जकड़ा हुआ व्यक्ति यदि संयम से काम ले तो उसका जीवन सुखी होगा. कार्यक्रम का संचालन मानस प्रचार समिति के सचिव शिवपूजन तिवारी व धन्यवाद ज्ञापन मीडिया प्रभारी मिल्टन पार्थ सारथी ने किया.
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