धनबाद
सफलता नित्य नयी मिले, बधाई बारंबार…
मंगल हो नववर्ष आपका, सुखी रहे परिवार…
वासंतिक नवरात्र व नवसंवत्सर 29 मार्च से शुरू होगा. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्र तक का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है. इसमें ज्ञान, ध्यान, अराधना, उपासना का बहुत महत्व है. वासंतिक नवरात्र में मां दुर्गा व भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. श्रद्धालु नौ दिनों तक भगवती की आराधना करते हैं. नवमी को रामनवमी का जुलूस निकलता है.
नवरात्र व नवसंवत्सर प्रारंभ होने की तिथि कई मायनों में पवित्र है. इस तिथि से ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था. युगों में प्रथम सतयुग का प्रारंभ भी इसी तिथि को हुआ. इसका ऐतिहासिक महत्व भी है. इस दिन सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की. विजय तिथि को चिर स्थायी बनाने के लिये विक्रमादित्य ने इसी तिथि से विक्रम संवत शुरू किया.
31 मार्च को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा चैती छठ : सूर्य उपासना का महान पर्व चैती छठ 31 मार्च को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. तीन अप्रैल को उदयाचलगामी को सूर्य को अर्घ्य व पारण के साथ चार दिवसीय छठ व्रत संपन्न होगा. इसमें शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. ठेकुआ छठ व्रत का प्रमुख प्रसाद होता है, जिसे व्रती काफी शुद्धता से बनाते हैं. श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर चैती छठ नेम-निष्ठा के साथ करते हैं.
वासंतिक नवरात्र पूजन कार्यक्रम
दिनांक कार्यक्रम
29.03.17 कलश स्थापन
02.04.17 षष्ठी पूजन व शिव षष्ठी व्रत
03.04.17 सप्तमी पूजन
04.04.17 महादुर्गाष्टमी व्रत व निशा पूजा
05.04.17 महानवमी व्रत, श्रीराम नवमी व्रत,
श्रीराम जन्मोत्सव व हवनादि कार्य
06.04.17 दशमी तिथि पूजन व नवरात्र का पारण
चैती छठ व्रत पूजन कार्यक्रम
दिनांक कार्यक्रम
31.03.17 नहाय-खाय
01.04.17 खरना
02.04.17 अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
03.04.17 उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य