बंदोबस्ती के दौरान पुलिस बल भी तैनात किये गये थे. अपर नगर आयुक्त प्रदीप कुमार प्रसाद की देखरेख में बंदोबस्ती की गयी. इस दौरान सिटी मैनेजर प्रकाश साह, सिटी मैनेजर संतोष कुमार, टैक्स दारोगा विंध्यांचल यादव, एकाउंटेंट रूपेश दूबे, टैक्स कलेक्टर प्रदीप कुमार तिवारी मौजूद थे.
Advertisement
6.98 लाख में बैंक मोड़ पार्किंग की बंदोबस्ती
धनबाद: खुली डाक में बैंक मोड़ सैरात की सबसे ऊंची बोली लगी. अभिनव सिंह ने 6.98 लाख की बोली लगाकर बैंक मोड़ से टाटा मोटर्स तक रोड के दोनों किनारे की पार्किंग अपने नाम कर ली. जबकि उमेश कुमार ने 4.65 लाख में राजेंद्र मार्केट (बैंक मोड़) से चावड़ा मैंशन तक रोड के दोनों किनारे […]
धनबाद: खुली डाक में बैंक मोड़ सैरात की सबसे ऊंची बोली लगी. अभिनव सिंह ने 6.98 लाख की बोली लगाकर बैंक मोड़ से टाटा मोटर्स तक रोड के दोनों किनारे की पार्किंग अपने नाम कर ली. जबकि उमेश कुमार ने 4.65 लाख में राजेंद्र मार्केट (बैंक मोड़) से चावड़ा मैंशन तक रोड के दोनों किनारे की पार्किंग ली. माया देवी ने 1.32 लाख में सिटी सेंटर पार्किंग व महिंद्र कुमार दूबे ने 1.82 लाख में हीरापुर हटिया की पार्किंग अपने नाम की.
28 सैरात के लिए मात्र दस आवेदन : 28 सैरात के लिए मात्र 10 आवेदन आये थे. इसमें एक आवेदन रद्द कर दिया गया. जबकि अन्य तीन सैरात के लिए दो-दो व एक सैरात के लिए तीन लोगों ने बंदोबस्ती में भाग लिया.
पिछले साल मात्र 25 लाख राजस्व : वर्ष 2016-17 में नगर निगम को मात्र 25 लाख राजस्व आया. पिछले साल 28 सैरात में मात्र सात सैरात की बंदोबस्ती हुई थी. अक्तूबर के बाद शेष सैरातों की विभागीय वसूली कराने का निर्णय लिया गया. विभागीय वसूली में निगम को मात्र 22 हजार रुपया राजस्व आया.
नगर निगम में सैरात बंदोबस्ती के नाम पर लूट
नगर निगम में सैरात बंदोबस्ती के नाम पर लूट मची है. 28 में मात्र चार सैरात की बंदोबस्ती होना, एक सोची समझी साजिश है. पिछले साल भी 28 में मात्र सात सैरात की बंदोबस्ती हुई थी. निगम के आला अधिकारी व कर्मचारियों की सांठगांठ से पिछले छह साल से निगम को सैरात बंदोबस्ती में चूना लगाया जा रहा है. बलियापुर स्टैंड, शहरपुरा, कतरास आदि दर्जनों स्टैंड पर दबंगों का कब्जा है. दबंगों की निगम में इतनी पैठ है कि अगर कोई संवेदक पार्किंग के लिए आवेदन देता है तो उसे धमका कर बंदोबस्ती में भाग नहीं लेने दिया जाता.
दबंगों की विभागीय वसूली की कोशिश
दबंगों की कोशिश होती है कि किसी तरह पार्किंग की बंदोबस्ती न हो. वसूली के लिए विभागीय आदेश निकले. यह कोशिश निगम के कर्मचारी व अधिकारी की भी होती है. पिछले साल सैरात की बंदोबस्ती नहीं होने पर विभागीय वसूली का आदेश निकला. लेकिन विभागीय वसूली से निगम के खजाने में मात्र 22 हजार रुपया ही जमा हुआ. स्टैंड पर विभागीय वसूली का नाम होता है और वसूली दबंग करते हैं. दोनों की मिलीभगत से 80 प्रतिशत राशि जेब में जाती है और मात्र 20 प्रतिशत ही राशि निगम के खजाना में जमा होती है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement