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फैशन के दौर में भी खादी प्रासंगिक
सुधीर सिन्हा धनबाद : फैशन के बदलते दौर में खादी में भी काफी बदलाव आया है. मोटे खादी के कपड़ों की जगह अब बारीक खादी के कपड़े प्रचलन में हैं. अब खादी भंडार में कुरता-पैजामा ही नहीं शर्ट, टी शर्ट, पैंट, जैकेट, कोर्ट, लेडीज सूट भी उपलब्ध हैं. पिछले कुछ सालों से खादी की बिक्री […]
सुधीर सिन्हा
धनबाद : फैशन के बदलते दौर में खादी में भी काफी बदलाव आया है. मोटे खादी के कपड़ों की जगह अब बारीक खादी के कपड़े प्रचलन में हैं. अब खादी भंडार में कुरता-पैजामा ही नहीं शर्ट, टी शर्ट, पैंट, जैकेट, कोर्ट, लेडीज सूट भी उपलब्ध हैं. पिछले कुछ सालों से खादी की बिक्री में तेजी आयी है. खादी ग्रामोद्योग संघ की मानें तो नोटबंदी के बाद खादी की बिक्री काफी प्रभावित हुई है.
नवंबर के बाद बिक्री घट गयी है. 20 प्रतिशत छूट के बाद भी ग्राहक नहीं आ रहे हैं. नो लॉस नो प्रोफीट पर सभी खादी बिक्री केंद्र चल रहे हैं.
साबुन, शैंपू, सत्तू…और भी बहुत कुछ : खादी ग्रामोद्योग ने खादी कपड़ों के अलावा हर्बल प्रोडक्ट भी बाजार में उतारा है. साबुन, शैंपू, सत्तू, मसाला, अगरबत्ती आदि प्रोडक्ट भी खादी भंडार में उपलब्ध हैं.
जल्द ही खादी का जूता भी बाजार में आनेवाला है.
धनबाद-बोकारो में सालाना ढाई करोड़ का कारोबार : खादी ग्रामोद्योग संघ के धनबाद व बोकारो के 22 बिक्री केंद्रों से सालाना ढाई करोड़ का कारोबार होता है. धनबाद में 15 व बोकारो में 07 बिक्री केंद्र हैं. धनबाद में मसाला, सत्तू व अगरबत्ती का प्रोडक्शन होता है. जबकि विशुनपुर (बांकुड़ा) में रेशम उत्पादन सेंटर है.
कहां-कहां से आते हैं उत्पाद
ऊलन कंबल- शॉल : राजस्थान व जम्मू-कश्मीर, सूती खादी: कर्नाटक, सिल्क: विष्णुपुर, बांकुड़ा, हर्बल प्रोडक्ट: कानपुर
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