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रिटायर्ड कोलकर्मियों को असीमित इलाज का खर्च

धनबाद : 10वें जेबीसीसीआइ की मेडिकल सब-कमेटी की बुधवार को कोलकता में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. एसइसीएल के सीएमडी बीआर रेड्डी की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में लिये निर्णय को प्रस्ताव के रूप में जेबीसीसीआइ की बैठक में रखा जायेगा. इस पर विचार विमर्श के बाद इस पर मुहर लगेगी. […]

धनबाद : 10वें जेबीसीसीआइ की मेडिकल सब-कमेटी की बुधवार को कोलकता में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. एसइसीएल के सीएमडी बीआर रेड्डी की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में लिये निर्णय को प्रस्ताव के रूप में जेबीसीसीआइ की बैठक में रखा जायेगा. इस पर विचार विमर्श के बाद इस पर मुहर लगेगी. 20-21 जनवरी को केरल के कुमारकोम में 10वें जेबीसीसीआइ की दूसरी बैठक होनी है.

आज की बैठक में केएस पात्रो डीपी इसीएल, आरएस झा, डीपी एसइसीएल, डॉ मीनाक्षी देव सीएमएस एसइसीएल, भगवान पांडेय सलाहकार कोल इंडिया, तृप्ति पराग साव संयोजक जेबीसीसीआइ, वाइएन सिंह(बीएमएस), लखन लाल महतो (एटक), नत्थूलाल पांडेय (एचएमएस), जेएस सोढ़ी (सीटू) शामिल थे.

क्या है स्कीम : ट्रेड यूनियनें काफी लंबे समय से रिटायर्ड कोलकर्मियों के लिए चिकित्सा सुविधा की मांग करते आ रहे थे. कोल इंडिया प्रबंधन ने वर्ष 2015 में कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम को लागू किया.
इसके तहत सेवानिवृत्त हो चुके कर्मियों को लाभ लेने के लिए राशि जमा करनी है. राशि जमा करने के बाद पति और पत्नी को ढाई-ढाई लाख की मेडिकल सुविधा का प्रावधान है. संघातिक रोग में पांच लाख तक के इलाज की सुविधा है. अाधिकारिक जानकारी के मुताबिक दो वर्ष में 34 हजार कोलकर्मी रिटायर हुए. मगर मात्र तीन हजार कोलकर्मी ही इस स्कीम का सदस्य बने हैं.
अब आगे क्या : मेडिकल सब कमेटी की अनुशंसा के बाद अब गेंद जेबीसीसीआई के पाले में है. 20-21 जनवरी को होने वाली जेबीसीसीआइ की बैठक में इस पर गंभीरता से विचार होगा. स्कीम लागू होने के बाद से ही इसमें सुधार की मांग उठने लगी थी. खास कर गंभीर बीमारी में खर्च सीमा को लेकर खूब चर्चा थी. मेडिकल सब-कमेटी की अनुशंसा के बाद पूरा तो नहीं, लेकिन बहुत सुधार होने की संभावना जतायी जा रही है. एक जेबीसीसीआइ सदस्य की माने तो सौ फीसदी तो नहीं, 75 फीसदी सुधार हुआ है. जेबीसीसीआइ की बैठक में हमलोग इस पर जोर देंगे. आज की अनुशंसा में सबसे खास बात है स्मार्ट मेडिकल कार्ड उपलब्ध कराने की. वर्तमान में रेफर की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कहना मुश्किल है. स्मार्ट मेडिकल कार्ड मिल जाने से इस परेशानी से निजात मिल जायेगी.

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