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जमीन गयी, मुआवजा नहीं मिला अब सिर से छत छीनने की तैयारी
मनोहर कुमार लोदना से लौटकर “डीसी साहब! पहले जमीन गयी, मुआवजा भी नहीं मिला, अब सिर से छत छीनने की तैयारी है. नियोजन की मांग करने पर आउटसोर्सिंग कंपनी सुशी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन द्वारा हमें दंगाई बताकर झूठे केस में नाम डाल दिया गया. हमें जेल भिजवा दिया गया, ताकि हमारा मुंह बंद […]
मनोहर कुमार लोदना से लौटकर
“डीसी साहब! पहले जमीन गयी, मुआवजा भी नहीं मिला, अब सिर से छत छीनने की तैयारी है. नियोजन की मांग करने पर आउटसोर्सिंग कंपनी सुशी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन द्वारा हमें दंगाई बताकर झूठे केस में नाम डाल दिया गया. हमें जेल भिजवा दिया गया, ताकि हमारा मुंह बंद कराया जा सके. आउटसोर्सिंग प्रबंधन पर स्थानीय पुलिस-प्रशासन और सफेदपोश नेताओं की कृपा है. हमारी फरियाद सुननेवाला कोई नहीं.” यह उस पत्र के अंश हैं, जो बीसीसीएल के लोदना एरिया अंतर्गत आनेवाली ब्राह्मण बरारी बस्ती के ग्रामीणों ने धनबाद के उपायुक्त ए दोड्डे को लिखा है. स्थानीय ग्रामीणों ने उपायुक्त से न्याय की गुहार लगायी है. आउटसोर्सिंग कंपनियां स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा भी करती हैं. एनआइटी के मुताबिक भी स्थानीय बेरोजगारों को नियोजन देना है, लेकिन यहां हकीकत कुछ और ही है. बस्ती के लोग अब बड़े आंदोलन का मूड बना रहे हैं.
200 एकड़ जमीन पर खनन कार्य
पत्र में ब्राह्मण बरारी बस्ती के ग्रामीणों ने बताया है कि बिना किसी समझौता के ग्रामीणों की करीब 200 एकड़ जमीन पर बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा खनन कार्य कराया जा रहा है. इसी जमीन पर वर्तमान में सुशी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड नामक आउटसोर्सिंग कंपनी की ओर से कोयला खनन कार्य किया जा रहा है. जमीन के खतियान समेत अन्य जरूरी कागजों के साथ ग्रामीण पिछले कई वर्षों से बीसीसीएल के लोदना क्षेत्रीय ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं. महाप्रबंधक तक से कई दौर की बातचीत हो चुकी है. बावजूद इसके न तो मुआवजा मिला है और न ही आउटसोर्सिंग में नौकरी.
नियोजन की मांग की, तो झूठे मुकदमे में फंसाया, भिजवाया जेल
ग्रामीणों के साथ बिना किसी समझौता के बीसीसीएल प्रबंधन ने आउटसोर्सिंग कंपनी सुशी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कोयला खनन शुरू कराया, तब बस्ती के लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी. साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करने का नोटिस दिया. इसके बाद आउटसोर्सिंग प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों पर दंगा करने का झूठा आरोप लगा कर जेल भिजवा दिया गया है. निर्दोष होने के बावजूद बस्ती के सुनील चक्रवर्ती व बाबू लाल महतो जेल में बंद हैं, जबकि स्थानीय ग्रामीण बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बातों को रखते रहे हैं. सुरेश चक्रवर्ती, मधुसुदन चक्रवर्ती, सुनील चक्रवर्ती एवं बाबू लाल महतो आदि की उम्र भी इस तरह का दंगा करने की नहीं है. बावजूद इसके आउटसोर्सिंग प्रबंधन ने इन्हें झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया है. ब्राह्मण बरारी बस्ती के ग्रामीणों ने हक की लड़ाई के लिए झारखंड रानीगंज कोलफिल्ड विस्थापन एवं पर्यावरण संरक्षक मोरचा का गठन किया था. यह मोरचा लगातार शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चलाता रहा है. एक भी मामला ऐसा नहीं, जब मोरचा के पदाधिकारियों और उससे जुड़े लोगों ने किसी तरह की हिंसा की हो. बावजूद इसके बीते 11 नवंबर को सुशी आउटसोर्सिंग में हुए हिंसक झड़प के बाद सुशी प्रबंधन की ओर से दर्ज मामले में मोरचा के पदाधिकारियों का नाम डाल दिया गया.
हैवी ब्लास्टिंग के कारण घरों में पड़ीं दरारें
ब्राह्मण बरारी बस्ती के लोगों का आरोप है कि आउटसोर्सिंग कंपनी सुशी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डीजीएमएस की आंखों में धूल झोंकते हुए सारे नियम-कानून को ताक पर रखकर खनन कार्य किया जा रहा है. अाउटसोर्सिंग कंपनी में होनेवाले हैवी ब्लास्टिंग से उड़ने वाले धूल-कणों से बस्ती के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. इतना ही नहीं, हैवी ब्लास्टिंग के कारण बस्ती के प्राय: घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी हैं. ऐसे में कभी भी अप्रिय दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. ग्रामीणों का आरोप है कि आउटसोर्सिंग कंपनी सुशी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड यहां राजनीति कर ग्रामीणों को आपस में लड़ाने का काम रह रही है, ताकि ग्रामीण आपस में लड़ते-पीटते रहे और परियोजना का काम चलता रहे. एक ओर कंपनी प्रबंधन कहता है कि स्थानीय बेरोजगारों को काम दिया जायेगा, फिर सुशी प्रबंधन ने बरारी बाजार के 20 लोगों को नियोजित क्यों किया है, जबकि परियोजना से ब्राह्मण बरारी बस्ती, बरारी एक नंबर, बागडिगी कोलियरी, बागडिगी बस्ती, जयरामपुर बस्ती, जिनागोड़ा कोलियरी, बरारी बाजार, जेलगोड़ा, डुमरिया टांड आदि के भी ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं.
मोरचा की कमेटी : झारखंड रानीगंज कोलफिल्ड विस्थापन एवं पर्यावरण संरक्षक मोरचा की कमेटी इस प्रकार है : कालीचरण बाउरी (अध्यक्ष), सुनील चक्रवर्ती, सुरेश चक्रवर्ती व बाबूलाल महतो (उपाध्यक्ष), एससी तिवारी (महासचिव), मधुसूदन चक्रवर्ती (सचिव), कालाचंद बाउरी, सूरज महतो, संजय बाउरी, मनोज महतो, माणिक बाउरी (संगठन सचिव), आनंद महतो, बबलू चक्रवर्ती, पंकज चक्रवर्ती, गाजू लाल महतो (सह सचिव), साधना चक्रवर्ती (महिला मोरचा अध्यक्ष), बिजली महतो (उपाध्यक्ष), हरिपद चक्रवर्ती, रवींद्र नाथ चक्रवर्ती, अजीत बाउरी, अंकुरी महतो, गीता देवी, मंगला भट्टाचार्य, मोहम्मद शहाबुद्दीन, कनकलता चक्रवर्ती, विष्णु देवी, भैरव चक्रवर्ती, महादेव चक्रवर्ती, लालटू चक्रवर्ती, प्रेम बाउरी, दिलीप बाउरी, रविशंकर चक्रवर्ती, धर्मदास चक्रवर्ती, गोरांग चक्रवर्ती, भानु भूषण चक्रवर्ती, शंकर बाउरी, समीर चक्रवर्ती, हीरालाल महतो, माणिक महतो, जोत्सना बाउरी, विश्वजीत चक्रवर्ती (सभी कार्यकारिणी सदस्य).
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