भारत में पिछले दो दशकों में इस उद्योग में आउट सोर्सिंग व ठेकेदारी को बढ़ावा देने के अलावा निजी मालिकों के घुसने एवं अपने इस्तेमाल के अलावा कोयला बेचने के लिए खनन की अनुमति मिलना अहम बदलाव है.
इससे बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है. वक्ताओं ने खान मजदूरों से दो से पांच फरवरी तक आयोजित सम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया. वक्ताओं में प्रदीप, डाॅ वीके पटोले, गौतम मोदी, दीप नारायण, रंजन कुमार, निताई रवानी शामिल हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में काशीनाथ मंडल, कन्हाई पांडेय, त्रिवेणी रवानी, एस सिंह, सुमित कुमार आदि ने सहयोग किया. कन्वेंशन के बाद शिक्षक सदन से रणधीर वर्मा चौक तक मार्च किया गया.