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अंकित ने किया देह दान मेडिकल छात्रों के आयेगा काम
कतरास: रक्तदान करना खास तौर से थैलेसीमिया पीड़ित के लिए रक्तदान और इसके प्रति लोगों काे भी प्रेरित करनेवाले अंकित राजगढ़िया ने देहदान की घोषणा की है. इसके साथ ही अंकित ने समाज के लिए कुछ कर गुजरने की समृद्ध पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया है. कतरास बाजार निवासी अंकित के पिताजी व चाचाजी भी […]
कतरास: रक्तदान करना खास तौर से थैलेसीमिया पीड़ित के लिए रक्तदान और इसके प्रति लोगों काे भी प्रेरित करनेवाले अंकित राजगढ़िया ने देहदान की घोषणा की है.
इसके साथ ही अंकित ने समाज के लिए कुछ कर गुजरने की समृद्ध पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया है. कतरास बाजार निवासी अंकित के पिताजी व चाचाजी भी अपनी आंखें दान कर चुके हैं. महज 27 वर्ष की उम्र में अंकित के इस साहसिक फैसले की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है. अंकित का यह फैसला शरीर के अभाव में प्रायोगिक अध्ययन से वंचित रहनेवाले मेडिकल के स्टूडेंट्स के लिए राहत प्रदान करनेवाला है. उन्होंने देहदान का फाॅर्म भरकर पीएमसीएच में जमा भी कर दिया है, जो स्वीकृत कर लिया गया. अंकित कहते हैं- ‘आज का दिन मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन है. बचपन से ही परिवार के बुजुर्गों और माता-पिता ने सिखाया कि जीवन में मानव सेवा सबसे बड़ा कार्य है. बस, उसी पर चल रहा हूं.’
राह में आयी बाधा
झारखंड में देह दान से संबंधित कानून नहीं होने के कारण अंकित को काफी परेशानी उठानी पड़ी. अंकित ने दो साल पहले मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में शिकायत दर्ज करवायी थी. इसके बाद सरकार ने नियम बनाया. अंकित कहते हैं, ‘चार नवंबर, 2016 को पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्राचार्य ने मेरे घर के पते पर एक फॉर्म भेजा. मैंने प्रक्रिया पूरी कर कॉलेज में फॉर्म जमा कर दिया है. इस नेक काम के लिए मेरी मां और परिवार के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूं. उन्होंने मेरे सपने को पूरा करने के लिए सहमति दी.’
रक्तदान से बचा चुके हैं कई जान
जहां यह उम्र कॅरियर व पैसे की चिंता सताने वाली होती है, अंकित जैसे इन सब बातों से बेपरवाह हैं. उन पर समाजसेवा का जुनून सवार है. वह व्हाट्सएप्प ग्रुप के जरिये रक्तदान महादान का संदेश प्रचारित-प्रसारित करते हैं. जरूरतमंदों को ब्लड उपलब्ध कराना ही उनका एकमात्र मकसद है. सीमा क्षेत्र की बाध्यता नहीं है. ब्लड चाहे बिहार के लोगों को चाहिए, झारखंड या फिर छत्तीसगढ़ के लोगों को, अंकित तक मैसेज पहुंचते ही वह रक्तदान महादान ग्रुप के जरिये लोगों से संपर्क में जुट जाते हैं. ग्रुप के लोग स्वेच्छा से रक्तदान के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं. जरूरत वाले स्थान पर रक्त उपलब्ध करा दिया जाता है. अंकित राजगढ़िया अपनी सेवा भावना के चलते कई जगह सम्मानित हो चुके हैं. श्री राजगढ़िया ने थैलेसीमिया पीड़ित कई बच्चों को ब्लड उपलब्ध करा कर राहत देने की हर मुमकिन कोशिश की है.
विरासत में मिली प्रेरणा
करीब पांच साल पहले अंकित के बड़े चाचा स्व. देवी प्रसाद राजगढ़िया की आंखें दान की गयी थीं. मृत्यु से पूर्व देवी प्रसाद ने नेत्रदान की इच्छा जतायी थी. 21 जून, 2014 को अंकित के पिता स्व. प्रकाश चंद्र राजगढ़िया की इच्छानुसार उनकी आंखें दान की गयीं. तभी अंकित ने संकल्प लिया था कि वह अपना शरीर दान कर देगा. अंकित कहते हैं, ‘मैं चाहता हूं कि मरने के बाद मेरे शरीर के सभी जरूरी अंग जरूरतमंद इंसानों में लगा दिया जाये. इसके बाद मेडिकल के छात्र शरीर का अध्ययन कर अपनी प्रायोगिक पढ़ाई पूरी करें.’
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