पार्षद निर्मल मुखर्जी का दावा
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सिटी सेंटर की 74 डिसमिल जमीन सरकारी
पार्षद निर्मल मुखर्जी का दावा 2008 में तत्कालीन सीओ ने सौंपी थी माडा को रिपोर्ट पूर्व नगर आयुक्त घोलप के ट्रांसफर का यही मुख्य कारण धनबाद : कंबाइंड बिल्डिंग स्थित सिटी सेंटर की कुल 1.19 एकड़ जमीन में 74 डिसमिल जमीन सरकारी है. यही नहीं यहां पार्किंग के लिए सरकारी जमीन भी बेच दी गयी […]
2008 में तत्कालीन सीओ ने सौंपी थी माडा को रिपोर्ट
पूर्व नगर आयुक्त घोलप के ट्रांसफर का यही मुख्य कारण
धनबाद : कंबाइंड बिल्डिंग स्थित सिटी सेंटर की कुल 1.19 एकड़ जमीन में 74 डिसमिल जमीन सरकारी है. यही नहीं यहां पार्किंग के लिए सरकारी जमीन भी बेच दी गयी है. यह दावा पार्षद निर्मल मुखर्जी का है. इस सिलसिले में उन्होंने सीओ की जांच रिपोर्ट सोशल मीडिया में डाली है. पार्षद ने बताया कि इस जमीन के पास अतिक्रमण को लेकर पूर्व नगर आयुक्त रमेश घोलप ने कार्रवाई की थी. इसके बाद उनका ट्रांसफर करा दिया गया. घोलप के ट्रांसफर का प्रमुख कारण यही माना जा रहा है.
सीओ की रिपोर्ट की मानें तो यह भवन हीरापुर मौजा, थाना नंबर सात, खाता नंबर 44, 100 एवं 136, प्लॉट नंबर 247, 249 एवं 248 है. इसका कुल रकबा 1.23 है. जिसमें 1.19 एकड़ पर दखल है. सीओ ने यह जांच रिपोर्ट माडा के कार्यपालक अभियंता (नगर निवेशन विभाग) को 24.11.2008 को सौंपी थी. इसी पत्र के आलोक भी पूर्व नगर आयुक्त घोलप ने सिटी सेंटर के पास अतिक्रमण हटाना शुरू कराया था. मामला गरमाने के बाद उनका अचानक तबादला हो गया.
चार लोगों का है तीन प्लॉट
अंचलाधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार सिटी सेंटर चार लोगों की जमीन है. इसमें तीन प्लॉट हैं.
74 डिसमिल सरकारी जमीन सीओ ने जांच में पाया गया कि चारों क्रेताओं द्वारा तीन प्लॉट में कुल 1.19 एकड़ जमीन खरीदी गयी है. जिसमें प्लॉट नंबर 248 गैर आबाद में सन्निहित रकबा 74 डिसमिल है. मापी के समय पर इस प्लॉट पर रकबा साढ़े 80 डिसमिल जमीन पर कब्जा पाया गया है, जो खरीदी गयी जमीन से साढ़े छह डिसमिल से अधिक है.
बोले मेयर
मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है. संबंधित पार्षद को ऐसी कोई जानकारी है, तो वह कोर्ट में जायें. वहां इसकी शिकायत करें.
चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर, धनबाद.
जांच कराये प्रशासन
जिला प्रशासन मामले की एक सक्षम व निष्पक्ष पदाधिकारी से जांच कराये. जो सरकारी जमीन बेची गयी है, वह पर्किंग के लिए थी. मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट की गाइड लाइन, नगर निगम व माडा के नियम भी देखे जा सकते हैं.
निर्मल कुमार मुखर्जी, पार्षद.
माडा ने लिखा था पत्र
माडा के प्रबंध निदेशक ने 27.8.2010 को सिटी सेंटर के संबंधित रैयतों को पत्र लिख कर सरकारी पार्किंग जमीन मुक्त करने को कहा था. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. माडा ने कहा था कि बगल में बस स्टैंड, एयरपोर्ट है. काफी भीड़भाड़ वाली जगह है. इस कारण लोगों को सड़कों पर ही वाहन खड़े करने पड़ते हैं.
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