धनबाद: सात दिन गुजर गये ट्रांसफॉर्मर की मरम्मत के नाम पर. मरम्मत में कामयाबी नहीं मिली. आठवें दिन से विभाग यह सोच रहा है कि अब क्या किया जाये? इस बीच कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी. हाइटेक युग में यह हाल है झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का. और इस संकट से कोई दस-बीस लोग नहीं.
पचास हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. मुसीबत का यह दूसरा फेज कब तक चलेगा, कहना मुश्किल है. क्योंकि खुद बिजली विभाग के पास इसका जवाब नहीं. गरमी के इस मौसम में बिना बिजली के रहने के दर्द को बताने की जरूरत नहीं.
साठ लाख का ट्रांसफॉर्मर दो साल ही चला : बिजली बोर्ड के धैया सब स्टेशन का 10 एमवीए का जो ट्रांसफॉर्मर बिगड़ा है वह साठ लाख का है. दो साल से कुछ ही अधिक दिन हुए कि खराब हो गया. इसके लिए कोलकाता से एक्सपर्ट बुलाया गया.
मंगलवार की रात ट्रांसफॉर्मर बनाया गया. लेकिन बुधवार की सुबह जैसे ही उस पर लोड दिया गया, वह तेज आवाज के साथ बैठ गया. एक्सपर्ट भी उल्टे पांव कोलकाता भाग खड़ा हुआ. सुबह से अधिकारियों की टीम जो वहां बैठी थी, मायूस होकर लौट आयी. जीएम सुभाष कुमार सिंह ने बताया कि जब तक नया ट्रांसफॉर्मर नहीं आता, तब तक दूसरे सब स्टेशनों से लोड कम करके धैया सब स्टेशन के हाउसिंग, आइएसएम और सर्किल फीडर को रोटेशन के आधार पर बिजली दी जायेगी. हालांकि यह बात पहले से कही जा रही है, पर इस व्यवस्था से काम लायक बिजली नहीं मिल रही है.