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नगर निगम के अधिकारियों पर सितम
धनबाद: निगम की कार्यशैली से क्षुब्ध होकर छह साल में दो नगर आयुक्त अवधेश कुमार पांडेय और बालमुकुंद झा ने अपना तबादला करा लिया. जबकि प्रभारी नगर आयुक्त आनंद मोहन सिंह सेवानिवृत्ति के दो माह पहले से ही छुट्टी पर चले गये और फिर नहीं आये. इस दौरान एकमात्र नगर आयुक्त एके बंका (2014-15) ने […]
धनबाद: निगम की कार्यशैली से क्षुब्ध होकर छह साल में दो नगर आयुक्त अवधेश कुमार पांडेय और बालमुकुंद झा ने अपना तबादला करा लिया. जबकि प्रभारी नगर आयुक्त आनंद मोहन सिंह सेवानिवृत्ति के दो माह पहले से ही छुट्टी पर चले गये और फिर नहीं आये. इस दौरान एकमात्र नगर आयुक्त एके बंका (2014-15) ने ही यहां अपना कार्यकाल (साल भर का) पूरा किया. यहीं से वे रिटायर हुए. कुछ अधिकारियों का ट्रांसफर सरकार ने ही कम समय में कर दिया. नगर आयुक्त विनोद शंकर सिंह और छवि रंजन (दोनों आइएएस) इनमें शामिल हैं.
नगर निगम में एक ही घराने का रहा कब्जा : नगर निगम में के गठन के समय से ही सिंह मैंशन और रघुकुल का कब्जा रहा है. पहली बोर्ड में मेयर इंदु देवी व डिप्टी मेयर नीरज सिंह दोनों एक ही परिवार के थे. उस समय मामू राज की तूती बोलती थी. दूसरी बोर्ड में मेयर पद के लिए आरक्षण होने के कारण इस परिवार को मौका नहीं मिला. हालांकि डिप्टी मेयर पद पर नीरज सिंह के अनुज एकलव्य सिंह (रघुकुल) कब्जा जमाने में सफल रहे. डिप्टी मेयर के प्रभार लेने के बाद एकलव्य सिंह हमेशा सुर्खियों में रहे. पहली बोर्ड की बैठक में पार्षद विनोद कुमार गोस्वामी से भिड़ गये. पार्षद विनोद गोस्वामी ने सदर थाना में डिप्टी मेयर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. एनयूएलएम का काम देख रहे पंकज व कार्यपालक अभियंता इंद्रेश शुक्ला से रंगदारी मांगने का मामला भी चर्चा में रहा.
ढाई महीने से छुट्टी पर हैं कार्यपालक अभियंता : हालिया रंगदारी प्रकरण को लेकर कार्यपालक अभियंता अरुण कुमार सिंह लंबी छुट्टी पर हैं. ढाई माह से वे मेडिकल लीव पर है. मुख्यालय में तबादला का आवेदन भी दे चुके हैं. बताते चलें कि कार्यपालक अभियंता अरुण कुमार सिंह ने डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह व पीए राज आनंद के खिलाफ तीन जुलाई को बैंक मोड़ में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में डिप्टी मेयर मेयर एकलव्य सिंह व पीए राज आनंद के खिलाफ अपहरण, रंगदारी व जान मारने की धमकी का आरोप लगाया था. हालांकि बाद में उन्होंने सुलह कर ली.
डिप्टी मेयर का सोफा आना मधुर संबंध का संकेत : डिप्टी मेयर का सोफा फिर से उनके दफ्तर आना मधुर संबंध का ही संकेत है. कार्यपालक अभियंता प्रकरण में जब डिप्टी मेयर जेल में थे. उस समय डिप्टी मेयर के दफ्तर से सोफा निकाल कर एजेंसी को सौंप दी गयी. डिप्टी मेयर जेल से बाहर आये और दो दिनों में पुन: सोफा की फाइल आगे बढ़ गयी. सोफा भी डिप्टी मेयर के दफ्तर में पहुंच गया.
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