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मनईटांड़ पूजा पंडाल में दिखेगी राजस्थानी संस्कृति की छटा
धनबाद: कोयलांचल के पूजा पंडालों में मनईटांड़ नवयुवक संघर्ष समिति मनईटांड़ का नाम अग्रणी रहता है. यहां की कलाकृति देखने के लिए दूर-दराज से भक्त आते हैं. इस साल भक्त पंडाल के अंदर राजस्थानी संस्कृति को देख पायेंगे. पंडाल के बाहर मुख्य द्वार पर रेगिस्तानी जहाज (ऊंट) बिराजमान रहेगा. पंडाल में प्रवेश करने के लिए […]
धनबाद: कोयलांचल के पूजा पंडालों में मनईटांड़ नवयुवक संघर्ष समिति मनईटांड़ का नाम अग्रणी रहता है. यहां की कलाकृति देखने के लिए दूर-दराज से भक्त आते हैं. इस साल भक्त पंडाल के अंदर राजस्थानी संस्कृति को देख पायेंगे. पंडाल के बाहर मुख्य द्वार पर रेगिस्तानी जहाज (ऊंट) बिराजमान रहेगा. पंडाल में प्रवेश करने के लिए ऊंट के पेट से गुजर कर भक्तों को जाना होगा. पंडाल के अंदर कठपुतली प्रथा, मीराबाई एवं अन्य प्रथाओं की मोहक कलाकृतियां सजायी जा रही हैं.
आपसी सहयोग से बनता है पंडाल, मूर्ति : इस पूजा पंडाल की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां का पंडाल और मूर्ति भावना आर्ट के कलाकारों द्वारा तैयार की जाती है. कमेटी के सदस्य श्रमदान कर सजावट एवं अन्य कार्य करते हैं. थर्मोकोल, प्लास्ट ऑफ पेरिस, चटाई से पंडाल सजाया जा रहा है.
1972 में हुई पूजा की शुरुआत : कमेटी के फाउंडर मेंबर एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार श्यामल सेन कहते हैं कि 1972 में यहां पूजा की शुरुआत हुई. बेलवरन के साथ पूजा प्रारंभ हो जाती है. सप्तमी से नवमी तक मां का भोग भक्तों के बीच वितरित किया जाता है. दशमी को सिंदूर खेला के साथ मां को विदाई दी जाती है. भक्तगण अपने कंधों पर मां की प्रतिमा को उठाकर छठ तालाब में विसर्जित करते हैं.
ये हैं सक्रिय सदस्य : अध्यक्ष परमिंदर सिंह, सचिव अभिमन्यु सिंह, उपाध्यक्ष संजय सिन्हा, कोषाध्यक्ष कुंदन साव, मिट्ठू सिंह, संरक्षक संजय सिंह, श्यामल सेन, पंकज चौरसिया, संजू यादव, झामू सिंह, राजीव तिवारी, गौतम विश्वकर्मा, दीपक सिन्हा, सोनू रोहित आदि.
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