उन्होंने कहा कि आरक्षण की यदि यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में एक अच्छा डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जायेगा. दस वर्ष में ही इसका रिजल्ट दिखने लगेगा. आज कई लोग प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एक-एक करोड़ देकर एडमिशन करा रहे हैं, ऐसे लोग जब पास करके निकलेंगे, तो क्या वह जनता की सेवा करेंगे.
डॉ मिश्रा ने कहा कि 20 प्रतिशत चिकित्सकीय सेवा सरकार मुहैया करा रही है, बाकि 80 प्रतिशत चिकित्सकीय सेवा निजी स्तर से ही मिल रही है. सरकार केवल वेतन बांटने में ही सारा वर्ष निकाल देती है. जबकि सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छुपी नहीं है. जगह-जगह आला लेकर फिजिशियन और दूसरे डॉक्टर बैठ सकते हैं. लेकिन सर्जन बिना संसाधन के इलाज शुरू नहीं कर सकते हैं. बड़े-बड़े लोग सरकारी अस्पताल में इलाज करायें, तो स्थिति सुधर सकती है. आज बड़े लोग इलाज कराने अमेरिका जाते हैं, लेकिन अमेरिका में जितने भी बड़े डॉक्टर हैं, उनमें अधिकांश भारतीय ही हैं.