वह बाजार से उठाता था दस हजार रुपये तो मालिक को देता था एक हजार रुपया. राकेश द्वारा बनायी गयी डायरी जैसी ही एक डायरी मनोज ने भी बना रखी थी. मालिक राकेश की डायरी में जो पैसा देता था वह लिखता था और महाजन की डायरी में उनके द्वारा दी गयी रकम की इंट्री करता था. इससे मालिक आैर महाजन दोनों गफलत में थे.
एक दिन एक महाजन राकेश के पास और बोला की सात कलम का ही हिसाब बाकी है तो राकेश का दिमाग घूम गया. जब राकेश ने हिसाब किया तो पता चला कि मनोज ने दुकान का 3.76 लाख रुपये गबन कर लिया है. मनोज ने राकेश के समक्ष घोटाला करने की बात स्वीकार भी की. इसके बाद दोनों पक्ष थाना पहुंचे, जहां मनोज ने बांड लिख कर दिया वह 15 दिनों में पैसे चूका देगा.