धनबाद: भारतीय परंपराओं और संस्कृति को अपने में नृत्य के माध्यम से सहेजे कलाकार ममता शंकर ने यहां कहा कि भारतीय संस्कृति इतनी समृद्ध है कि बाहर की संस्कृति को उधार लेने की जरूरत नहीं है. ममता धनबाद महोत्सव में भाग लेने आयी थी. ममता प्रख्यात नर्तक उदय शंकर की पुत्री और सितार वादक पंडित रवि शंकर की भतीजी हैं. उन्होंने कई फिल्मों में काम भी किया है.
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा : आज दूसरे देशों में जो चीजें छोड़ी जा रही है, वह भारत के लोग अपना रहे हैं, जो गलत है. हमारा नृत्य किसी ना किसी थीम पर आधारित होता है और इसमें संदेश भी होता है. वह मानवीय मूल्यों और प्रकृति पर आधारित होता है.
रियलिटी शो से भला नहीं
उन्होंने कहा : आजकल रियलिटी शो का जमाना है. लेकिन मैं इसे अच्छा नहीं मानती. छोटे-छोटे बच्चे को इसमें लाया जाता है, ऐसा लगता है कि किसी कली के खिलने से पहले ही फूल बना दिया गया हो. अच्छा रियाज और अनुभव बहुत जरूरी होता है. टीवी को भी चाहिए कि अच्छी चीजों को परोसे . जज का जो काम करते है वो भी सभी को अच्छा कहते हैं. लेकिन उन्हें अच्छा बनाने का प्रयास नहीं करते.
क्या है बैले डांस
बैले डांस में गाना या पाश्चात्य संस्कृति नहीं होते. इसमें समाज की परंपरागत चीजें और वर्तमान में जो घट रहा होता है, उसे ही नृत्य के माध्यम से दर्शाया जाता है. इस डांस की खासियत यह है कि जो विशेषज्ञ हैं वे तो इसे भली-भांति समझते हैं, नये लोग भी थीम और डांस समझ लेते हैं.