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स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक से हर हाल में जुड़ेगा

धनबाद: राज्य के सहकारिता विभाग (को-ऑपरेटिव) के सचिव केके सोन ने यहां कहा कि धनबाद सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को हर हाल में स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में मर्ज किया जायेगा. श्री सोरेन गुरुवार को उत्तरी छोटानागपुर और संताल परगना के 13 जिलों के पदाधिकारियों के साथ सर्किट हाउस में बैठक करने के बाद पत्रकारों से बातचीत […]

धनबाद: राज्य के सहकारिता विभाग (को-ऑपरेटिव) के सचिव केके सोन ने यहां कहा कि धनबाद सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को हर हाल में स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में मर्ज किया जायेगा. श्री सोरेन गुरुवार को उत्तरी छोटानागपुर और संताल परगना के 13 जिलों के पदाधिकारियों के साथ सर्किट हाउस में बैठक करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.

श्री सोन ने एक सवाल में जवाब में कहा कि को- ऑपरेटिव बैंक का मामला हाइकोर्ट में नहीं है. टुंडी पैक्स का एक मामला है, इससे मर्ज होने की दिशा में रुकावट नहीं आयेगी. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों को वे स्टेट स्तर पर ले जाना चाहते हैं और ये लोग यहीं तक सिमट कर रह जाना चाहते हैं. अभी पैक्स का सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. राज्य में 39 लाख कृषक परिवार हैं, इसमें 16 से 17 लाख ही कृषक परिवार सदस्य है. 20 लाख कृषक परिवार को मार्च तक सदस्य बनाना है.

गांव के लोग अपने यहां ही निकाल सकेंगे पैसे : श्री सोन ने बताया कि गांव के सभी पैक्सों में अब माइक्रो एटीएम लगायी जायेगी. इससे वहां के लोग अपना पैसा वहीं निकाल लेंगे, शहर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

को-ऑपरेटिव बैंक अन्य बैंकों की तरह बनेंगे: श्री सोन ने कहा : ऑपरेटिव बैंकों को भी राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों की तरह बनाया जायेगा. इसे कॉरपोरेट लूक दिया जायेगा. सभी बैंक इंटरनेट से जोड़े जायेंगे.

पांच लाख रुपये दिये गये: श्री सोन ने बताया कि वर्ष 2011- 12 और 2012- 13 का पैक्सों को 12 करोड़ रुपये बकाया है इसमें से पांच करोड़ रुपये उन्होंने आज ही रिलीज करने का निर्देश दे दिया है. धान क्रय की तिथि 31 दिसंबर तक थी इसे बढ़ा कर 31 मार्च, 2014 तक करने के लिए केंद्र को लिखा गया है. इस बाबत 31 जनवरी को दिल्ली में बैठक भी बुलायी गयी है.

श्री सोन के साथ रांची से आपूर्ति विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी नरेश प्रसाद सिंह, संयुक्त सचिव आलोक त्रिवेदी भी आये थे. इनके अलावा जिला सहकारिता पदाधिकारी मंजू विभावरी व अन्य 13 जिले से आये पदाधिकारी उपस्थित थे.

डिप्टी सेक्रेटरी एफसीआइ भी गये: बाद में सप्लाइ विभाग के डिप्टी सेकेट्ररी नरेश प्रसाद सिंह एफसीआइ गये और वहां से डाक्यूमेंट उपलब्ध कराने को कहा. किसके यहां कितना बकाया है, उसकी पूरी जानकारी ली और फिर वहां से लौट आये.

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