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ढुलू मामले में मिला गवाह लाने का अंतिम मौका खबरें अदालत की

धनबाद : सहायक अवर निरीक्षक अरुण कुमार शर्मा के साथ धक्का-मुक्की अौर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले की सुनवाई बुधवार को सिविल जज, सीनियर डिवीजन सप्तम, एसपी ठाकुर की अदालत में हुई. अदालत में बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो गैर हाजिर थे. उनकी ओर से उनके अधिवक्ता ललन किशोर प्रसाद ने दंप्रसं […]

धनबाद : सहायक अवर निरीक्षक अरुण कुमार शर्मा के साथ धक्का-मुक्की अौर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले की सुनवाई बुधवार को सिविल जज, सीनियर डिवीजन सप्तम, एसपी ठाकुर की अदालत में हुई. अदालत में बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो गैर हाजिर थे.

उनकी ओर से उनके अधिवक्ता ललन किशोर प्रसाद ने दंप्रसं की धारा 317 का आवेदन दायर किया. अदालत में अभियोजन की ओर से सहायक लोक अभियोजक हरेश कुमार राम ने आवेदन देकर समय की मांग की. अदालत ने अभियोजन को साक्ष्य देने का अंतिम मौका दिया. अब इस मामले में सुनवाई 14 सितंबर 16 को होगी. 15 सितंबर 2010 को ढुलू महतो अपने समर्थकों के साथ बाघमारा थाना पहुंचे. थाना में काम कर रहे एएसआइ अरुण कुमार शर्मा के साथ केस डायरी को लेकर धक्का -मुक्की की.

फूलचंद मामले में फैसला 30 को : आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के एक मामले की सुनवाई बुधवार को न्यायिक दंडाधिकारी एके गुड़िया की अदालत में हुई. आरोपी भाजपा के सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल अनुपस्थित थे. उनकी ओर से उनके अधिवक्ता ने दंप्रसं की धारा 317 के तहत प्रतिनिधित्व आवेदन दायर किया.
अदालत ने उभय पक्षों की बहस सुन कर फैसले की तिथि 30 अगस्त मुकर्रर कर दी. अभियोजन की ओर से एपीपी हरेश कुमार राम ने बहस की. उन्होंने अदालत को बताया कि इस केस में पांच गवाहों की गवाही हुई है. केस के सूचक बलियापुर के बीडीओ कुंदन भगत व अनुसंधानकर्ता अमित एक्का ने ही केस को सपोर्ट किया है.
डिप्टी मेयर मामले में नहीं हुई गवाही
सिविल कोर्ट परिसर में विकास सिंह के साथ मारपीट के मामले की सुनवाई बुधवार को न्यायिक दंडाधिकारी शैलेंद्र कुमार की अदालत में हुई. अदालत में अभियोजन की ओर से कोई गवाह प्रस्तुत नहीं किया गया. एपीपी सोनी कुमारी ने गवाह लाने के लिए अदालत से समय की मांग की. अदालत ने साक्ष्य के लिए अगली तिथि सात सितंबर 16 निर्धारित कर दी. चार सितंबर 08 को सुरेश सिंह हत्याकांड में आरोप गठन होना था. विकास सिंह अपनी हाजिरी बनाने आये थे. तभी एकलव्य सिंह, मृत्युंजय सिंह व अन्य लोगों ने उसके साथ मारपीट की थी. अब तक इस केस में तीन गवाहों की गवाही हो चुकी है.
ग्यास मर्डर केस में चिकू समेत तीन हुए बरी
ग्यास खन हत्याकांड में बुधवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश तृतीय कुमार दिनेश की अदालत ने चिकू खान, मुन्ना खान व जेल में बंद शेरखान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. फैसले के वक्त बचाव पक्ष के अधिवक्ता अनवर शमीम व पी चक्रवर्ती भी अदालत में मौजूद थे. क्या है मामला : 19 मई 2008 की रात्रि में ग्यास खान को घर से बुला कर ले जाया गया. दूसरे दिन ग्यास की लाश हरिजन बस्ती सिंघाड़ा तालाब के पास पायी गयी. घटना के बाद मृतक के बड़े भाई
पप्पू खान ने धनबाद थाना में शेर खान, चिकू खान व मुन्ना खान के खिलाफ कांड संख्या 354/08 दर्ज कराया. केस के आइओ विजय कुमार सिंह ने 10 सितंबर 09 को अदालत में आरोप पत्र समर्पित किया. चिकू खान जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर फहीम खान का भतीजा है, जबकि शेर खान फहीम का भाई है.
कोयला की ट्रांसपोर्टिंग निजी कंपनी से क्यों?
बीसीसीएल का हाल Â जिनागोड़ा फायर पैच से ओबी की निकासी विभागीय, लेकिन ट्रांसपोर्टिंग निजी
गड़बड़ी, घोटाला व भ्रष्टाचार से बीसीसीएल का चोली-दामन का रिश्ता कायम हो चुका है. भ्रष्ट अधिकारियों की जमात के संरक्षण में संवेदकों-ठेकेदारों द्वारा कंपनी को लाखों का नुकसान पहुंचाने के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बीसीसीएल के लोदना एरिया के जिनागोड़ा फायर पैच (पूर्व में साई पैच) का प्रकाश में आया है. जहां कंपनी के कर्मचारियों द्वारा परियोजना से धधकती आग के बीच से ओवर बर्डेन (ओबी)
निकासी का काम तो कराया जाता है, लेकिन कोयला निकासी व ट्रांसपोर्टिंग का कार्य निजी कंपनी जिंदल रोडवेज को सौंप दिया गया है. बताते हैं कि कोयला के इस ट्रांसपोर्टिंग कार्य में संवेदक स्थानीय प्रबंधन के साथ मिलीभगत कर कंपनी को प्रतिमाह लाखों रुपये का चुना लगने का काम कर रहा है. यह सिलसिला पिछले दो वर्षों से बदस्तूर जारी है. यहां सवाल उठ रहा है कि जब ओबी निकासी का कार्य विभागीय स्तर पर हो रहा है, तो कोयला की ट्रांसपोर्टिंग निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी जिंदल रोडवेज से क्यों करायी जा रही है?
क्या है मामला
बीसीसीएल के लोदना एरिया के जिनागोड़ा फायर पैच से कोयला की निकासी व कोल डंप तक कोयला ट्रांसपोर्टिंग के लिए करीब 87 लाख का कार्य जिंदल रोडवेज नामक निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी को आवंटित किया गया है. इस दौरान कंपनी को एक लाख 83 हजार टन कोयला की ट्रांसपोर्टिंग परियोजना से एनटीएसटी कोल डंप तक करनी है. इसकी कार्य अवधि तीन माह की है. बताते हैं संवेदक व प्रबंधन की आपसी सांठगांठ के कारण पिछले दो वर्षों से यह कार्य उक्त कंपनी (जिंदल रोडवेज) को ही आवंटित होता आ रहा है.
एक ही डंप पर होती है कोयला की ट्रांसपोर्टिंग
बिना वजन के होता है संवेदक के बिल का भुगतान
कंपनी को हो रहा हर माह लाखों का नुकसान
एक ही डंप पर होती है ट्रांसपोर्टिंग
बताते हैं कि जिनागोड़ा फायर पैच से उत्खनित कोयला को वही पास के एनटीएसटी (नॉर्थ तीसरा व साउथ तीसरा) कोल डंप पर डंप किया जाता है. जहां विभागीय व निजी कंपनी जिंदल रोडवेज द्वारा परियोजना से कोयला की ट्रांसपोर्टिंग कर डंप किया जाता है. डंप स्थल एक होने के कारण निजी ट्रांसपोर्टिंग कंपनी जिंदल रोडवेज द्वारा स्थानीय प्रबंधन के साथ मिलीभगत कर विभागीय ट्रांसपोर्टिंग को भी अपना दिखा दिया जाता है. इतना ही नहीं जिंदल रोडवेज के बिल का भुगतान बिना कांटा (वजन) के ही कर दिया जाता है.
प्रर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से कोयला ट्रांसपोर्टिंग का जिम्मा निजी कंपनी जिंदल रोडवेज को दिया गया है. ओबी निकासी का कार्य विभागीय स्तर पर चल रहा है. जहां तक ट्रांसपोर्टर के बिल के भुगतान की बात है, तो डिस्पैच के आधार पर किया जाता है. ट्रांसपोर्टिंग के कार्य में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं बरती जा रही है. सारे कार्य नियम संगत हो रहे हैं
अरुण कुमार पांडेय, प्रबंधक, जिनागोड़ा, लोदना

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