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जीटी रोड पर पशु तस्करों से हर माह तीन करोड़ रुपये की वसूली

जीटी राेड पर पशु तस्कराें से वसूली का धंधा चलता है. हाल ही में एक बड़ी घटना घटी थी. पुलिसकर्मियाें ने पशुआें से लदे एक ट्रक के चालक काे गाेली मार दी थी. बाद में इस मामले में एक पुलिस इंस्पेक्टर पर इतना दबाव दिया गया कि उसकी जान ही चली गयी. झारखंड में सरकार […]

जीटी राेड पर पशु तस्कराें से वसूली का धंधा चलता है. हाल ही में एक बड़ी घटना घटी थी. पुलिसकर्मियाें ने पशुआें से लदे एक ट्रक के चालक काे गाेली मार दी थी.
बाद में इस मामले में एक पुलिस इंस्पेक्टर पर इतना दबाव दिया गया कि उसकी जान ही चली गयी. झारखंड में सरकार ने पशु तस्करी राेकने के लिए कड़े नियम बनाये हैं, सख्त आदेश है, लेकिन यह रूक नहीं रही है. पढ़िए कैसे धनबाद के आसपास जीटी राेड पर फल-फूल रहा है यह धंधा.
अभय कुमार
धनबाद : मध्य बिहार से धनबाद जिले से गुजरनेवाले जीटी रोड (कोलकाता-नयी दिल्ली फोर लेन) से बड़े पैमाने पर जानवरों को पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजने का धंधा चल रहा है. इसमें मवेशी तस्करों का बड़ा गिरोह काम कर रहा है. जानवरों की तस्करी का यह धंधा धनबाद जिले के जीटी रोड पर पड़नेवाले थानों की पुलिस की कमाई का बड़ा स्त्राेत बना हुआ है.
हर दिन जानवर लदे 100 से अधिक ट्रक धनबाद जिले से जीटी रोड होकर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करता है. एक अनुमान के अनुसार पशु तस्करी रोकने के लिए जिम्मेवार पशु क्रूरता निवारण समिति (एसपीसीए) से जुड़े अफसराें और जीटी रोड के थानों की पुलिस द्वारा प्रतिमाह करीब तीन करोड़ रुपये की वसूली की जाती है. यह राशि घटती-बढ़ती रहती है. झारखंड गोवंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम 2005 धनबाद और पड़ोसी जिले गिरिडीह में बेअसर साबित हो रहा है.
पशु तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पुलिस द्वारा यदा-कदा पशु लदे कुछ वाहनों को जब्त कर खानापूर्ति की जाती है.बकरी इंस्पेक्टर भी करते हैं वसूली : यही हाल एसपीसीए का है. एसपीसीए निरीक्षकों को बोलचाल की भाषा में बकरी इंस्पेक्टर व मवेशी डॉक्टर बोला जाता है. खाकी वरदी में कुछ लोगों के साथ बकरी इंस्पेक्टर रात को जीटी रोड पर देखे जाते हैं. आरोप है कि जानवर तस्करों से वसूली जानेवाली राशि में अच्छा-खासा हिस्सा बड़े नेताआें तक भी पहुंचता है. एक अनुमान के मुताबिक तस्कर एक ट्रक पर प्रतिदिन 50 हजार रुपये घूस में खर्च करते हैं.
बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल में यह राशि वसूली जाती है. कानून और स्थिति : 22 नवंबर, 2005 को झारखंड में गोवंश हत्या प्रतिषेध अधिनियम को मंजूरी दी गयी. इस अधिनियम के तहत गाय-बैल को राज्य से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध है. एसपीसीए निरीक्षकों को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना है. पशुओं पर क्रूरता करनेवालों के खिलाफ कोर्ट में प्रोसिक्यूशन भेजना है. स्थानीय थाना से सहयोग लेना है.
एफआइआर के लिए थानों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके बावजूद गाय व बैल प्रतिदिन ट्रकों पर लादकर जीटी रोड से बांग्लादेश ले जाया जा रहा है. प्रावधानों के तहत एक ट्रक पर अधिक से अधिक 50 बकरियों को ही ले जाया जा सकता है, जबकि एक ट्रक पर 250-300 बकरियां लादकर भेजी जा रही हैं. चारा-पानी का भी कोई इंतजाम नहीं रहता है. एसपीसीए निरीक्षकों के साथ मवेशी कारोबारी व ट्रक चालकों में पैसे को लेकर विवाद भी होते रहे हैं. धनबाद जिले के जीटी रोड पर पड़नेवाले गोविंदपुर थाना में वर्ष 2010 में इसी तरह के विवाद में रंगदारी व मारपीट का केस दर्ज हुआ था.
तीन लोग पकड़े गये थे और दो भाग निकले थे. पुलिस ने पांचों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. यह मामला काफी चर्चित हुआ था.
10,000 से बढ़कर 20,000 रुपये : धनबाद जिले में राजगंज-तोपचांची की सीमा, गोविंदपुर, खरकाबाद, मैथन चौक से पहले जानवर लदी गाड़ियों से एसपीसीए निरीक्षकों द्वारा रात भर वसूली की जाती है. प्रति ट्रक 2000 से 5000 रुपये तक की वसूली करते हैं.
इसी तरह तोपचांची, राजगंज, बरवाअड्डा, गोविंदपुर, निरसा, गलफरबाड़ी व मैथन थाना की पुलिस को तस्करों से प्रति ट्रक राशि मिलती है. मवेशी तस्करों से पैसे लेकर कारोबार की छूट देने और दुधारू गाय व भैंस व्यापारियों से वसूली को लेकर विवाद हुआ था. पिछले वर्ष धनबाद जिले के गोविंदपुर से लेकर मैथन तक स्थानीय लोगों ने दर्जनों ट्रक मवेशी जब्त कर पुलिस को सौंपे थे.
पुलिस व एसपीसीए के खिलाफ लोगों ने हंगामा किया था. हाल में एसएसपी के निर्देश पर स्पेशल टीम द्वारा राजगंज व बरवाअड्डा थाना क्षेत्रों में दर्जनों जानवर लदे ट्रक पकड़े जा चुके हैं. एसएसपी की सख्ती के बाद थानेदारों ने रेट बढ़ा दी है. अब प्रति ट्रक 10 हजार की जगह मवेशी तस्करों को थानों पर 20 हजार देने पड़ रहे हैं.

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