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नाम पर मतभेद: नाम होगा आइआइटी (आइएसएम) धनबाद

धनबाद :कैबिनेट से आइएसएम को आइआइटी की मंजूरी मिलने के बाद संस्थान के नये नाम को लेकर छात्रों के बीच मतभेद हो गया है. आइएसएम प्रबंधन, कई पुराने पूर्ववर्ती छात्रों सहित अर्थ साइंस के स्टूडेंट्स चाहते हैं कि 1926 में स्थापित इस विश्व प्रसिद्ध आइएसएम का नाम आइआइटी बनने के बाद भी बीएचयू की तर्ज […]

धनबाद :कैबिनेट से आइएसएम को आइआइटी की मंजूरी मिलने के बाद संस्थान के नये नाम को लेकर छात्रों के बीच मतभेद हो गया है. आइएसएम प्रबंधन, कई पुराने पूर्ववर्ती छात्रों सहित अर्थ साइंस के स्टूडेंट्स चाहते हैं कि 1926 में स्थापित इस विश्व प्रसिद्ध आइएसएम का नाम आइआइटी बनने के बाद भी बीएचयू की तर्ज पर बरकरार रहे.

जबकि बाकी तमाम ब्रांच जिनकी संख्या अधिक है, वे चाहते हैं कि नया नाम केवल आइआइटी धनबाद रहे.मंगलवार को अपर सचिव (तकनीकी) मानव संसाधन विकास विभाग आर सुब्रह्मण्यम के संस्थान पहुंचने पर अतिथि गृह में छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला आैर यह यह जानना चाहा कि आइआइटी बनने के बाद आइएसएम का नया नाम क्या होगा. सचिव ने स्पष्ट किया बीएचयू की तर्ज पर इस संस्थान का नाम आइआइटी (आइएसएम) धनबाद होगा.

अभी साइट पर भले नाम में आइआइटी धनबाद दिख रहा है, लेकिन अधिकृत नाम आइआइटी(आइएसएम) धनबाद की घोषणा जल्द हो जायेगी. इस पर मिलने आये छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने आपत्ति जताते हुए मांग है कि नये नाम में आइएसएम का जिक्र न करके केवल आइआइटी धनबाद रहे, क्योंकि इससे छात्रों को प्लेसमेंट में परेशानी उठानी पड़ती. प्लेसमेंट के लिए आने वाले संस्थान सिर्फ आइआइटी सुनना पसंद करते हैं. संस्थान का मौजूदा स्वरूप भी पूरी तरह से आइआइटी की है. सचिव ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला हो चुका है, फिर भी विचार किया जायेगा.

विभिन्न विभागों का पुनर्निरीक्षण, बैठक : अपर सचिव आर सुब्रह्मण्यम ने आइएसएम के विभिन्न विभागों का पुनर्निरीक्षण कर संस्थान के निदेशक सहित विभागीय अधिकारियों के साथ प्रशासनिक भवन में बैठक की. बैठक के दौरान उन्होंने विस्तृत रुप से विभागवार फैकल्टी, स्टूडेंट्स, संस्थान की स्थिति, प्लेसमेंट लैब व डिपार्टमेंटल लाइब्रेरी ऑल ओवर संस्थान का इतिहास व अब तक परफॉरमेंस पर विस्तृत रूप से न केवल जानकारी ली, बल्कि कई पेपर जेरॉक्स भी लिया. मौके पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों से अलग-अलग बातचीत कर उनके विभाग की मौजूदा स्थिति की जानकारी ली.
इन विभागों का किया निरीक्षण : माइन वेंटिनेशन एंड इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग लैब, रॉक मैकेनिक लाइब्रेरी, जियोलॉजिकल म्यूजियम, रॉक एक्सकेवेशन इंजीनिरिंग लैब, सेस्मोलोजिकल ऑब्जर्वेटरी, सीआरएफ, एसटीपी, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग, नवनिर्मित गर्ल्स हॉस्टल, नवनिर्मित ब्वॉय हॉस्टल, स्क्वैश कोट, सफायर हॉस्टल, स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर, नया लेक्चर हॉल कॉम्पलेक्स, इंटरनेशनल इडीसी, लौंगवाल ट्रेनिंग गैलरी, सीआरएप बिल्डिंग, हॉस्पिटल, 180 क्वार्टर, एकेडमिक कॉम्प्लेक्स.
60 प्रतिशत छात्र सिर्फ आइआइटी नाम रखने के पक्ष में
धनबाद. छात्रों ने दावा किया कि नाम को लेकर संस्थान के छात्रों का बहुमत उनके साथ है. 60 प्रतिशत छात्र नया नाम में आइएसएम नहीं चाहते हैं, जिनकी भावनाओं की कद्र करते हुए नाम केवल आइआइटी धनबाद होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ सीनियर्स के साथ मिल कर इसके लिए कैंपेन चला कर सरकार के समक्ष अपनी बात रखेंगे.
दूसरा पक्ष : इधर संस्थान प्रबंधन खास कर अर्थ साइंस विभाग के फैकल्टी व स्टूडेंट्स का मानना है कि आइएसएम की विश्व पटल पर एक पहचान है. इसका माइनिंग इंजीनियरिंग व जियोलॉजी विभाग की इमेज विश्व स्तर पर है, जिसका असर प्लेसमेंट पर भी दिखता है. मौजूदा दौर में इसी नाम को लेकर विदेशी विवि व तकनीकी संस्थानों का रुझान इस संस्थान के प्रति बढ़ा है. इस संस्थान के अर्थ साइंस से संबंधित ब्रांच की उपलब्धियां राष्ट्रीय स्तर की नहीं, विश्व स्तरीय है. संस्थान के पूर्ववर्ती छात्रों व पुराने फैकल्टी की भावना भी इस नाम के साथ जुड़ी है. उनके तथा संस्थान प्रबंधन की ओर से इन तमाम बातों को ध्यान में रख कर ही संस्थान के नाम में आइएसएम रखने का प्रस्ताव भेजा गया है.

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