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झरिया में जमीन लेने को तैयार नहीं बीसीसीएल

वैकल्पिक पुनर्वास योजना लाने की चल रही है तैयारी झरिया के भू-धंसान एवं अग्नि प्रभावित इलाकों में रैयतों को मुआवजा दे कर जमीन लेने में अब बीसीसीएल प्रबंधन की रुचि नहीं है. इसलिए अब भू-धंसान प्रभावित इलाके के लोगों के लिए वैकल्पिक पुनर्वास योजना लाने की तैयारी चल रही है. धनबाद : सूत्रों के अनुसार […]

वैकल्पिक पुनर्वास योजना लाने की चल रही है तैयारी

झरिया के भू-धंसान एवं अग्नि प्रभावित इलाकों में रैयतों को मुआवजा दे कर जमीन लेने में अब बीसीसीएल प्रबंधन की रुचि नहीं है. इसलिए अब भू-धंसान प्रभावित इलाके के लोगों के लिए वैकल्पिक पुनर्वास योजना लाने की तैयारी चल रही है.
धनबाद : सूत्रों के अनुसार 11 मई को नयी दिल्ली में कोयला एवं ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में झरिया पुनर्वास विकास प्राधिकार (जेआरडीए) हाइ पावर कमेटी की बैठक में बीसीसीएल के अधिकारियों ने झरिया क्षेत्र में टुकड़ों -टुकड़ों में जमीन ले कर कोयला निकालने में अनिच्छा दिखायी.
कोयला अधिकारियों का कहना था कि कंपनी नयी पुनर्वास नीति के तहत रैयतों को सात गुना मुआवजा देने की स्थिति में नहीं है. टुकड़ों में जमीन लेने में बीसीसीएल को कई अन्य तरह की भी परेशानी है. वैसे भी बीसीसीएल के पास पहले से भी काफी जमीन है. पुरानी जमीन में ही खनन करने में परेशानी आ रही है. बैठक में इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया.
51 मीटर के फ्लैट पर सहमति
बैठक में जेआरडीए द्वारा बेलगढ़िया, निपनिया में प्रभावितों के लिए बनने वाले फ्लैट का एरिया 38 मीटर से बढ़ा कर 51 मीटर करने पर सहमति बनी. हालांकि, कमरे की संख्या बढ़े या रूम की साइज ही बढ़ा दी जाये, इसका फैसला जेआरडीए बोर्ड स्थानीय स्तर पर लोगों से बातचीत कर लेगी.
भू-धंसान प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए पुनर्वासित स्थल पर जाने के बाद रोजगार के नये साधन मुहैया कराने पर भी चर्चा हुई. इसमें प्रभावितों को ट्रांसपोर्टिंग का काम सौंपने पर सबसे ज्यादा मंथन हुआ.

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