माडा टीएम को इसका पूरा अधिकार है. मालूम हो कि अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में उक्त माडा कर्मियों ने जलापूर्ति जैसी आवश्यक सेवा को ठप कर आंदोलन किया था. मामले में प्रशासन व प्रबंधन की अपील को भी उन्होंने नहीं सुना था. फलत: आधा दर्जन कर्मियों को माडा ने अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया. माडा की इस कार्रवाई के खिलाफ कर्मियों ने हाइकोर्ट में अपील की. अंतत: कोर्ट का फैसला माडा के पक्ष में आया.
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माडाकर्मियों की अपील खारिज जाना होगा स्थानांतरित जगह
धनबाद. स्थानांतरण के खिलाफ माडा प्रबंधन के साथ पिछले एक साल से न्यायिक लड़ने वाले आधा दर्जन माडा कर्मियों को लड़ाई महंगी पड़ी. हाइकोर्ट ने कर्मियों की अपील को इस बात पर खारिज कर दी कि उक्त कर्मियों को कंपनी के संविधान के अनुरूप अधिकृत अधिकारी ने ही स्थानांतरित किया था. माडा टीएम को इसका […]
धनबाद. स्थानांतरण के खिलाफ माडा प्रबंधन के साथ पिछले एक साल से न्यायिक लड़ने वाले आधा दर्जन माडा कर्मियों को लड़ाई महंगी पड़ी. हाइकोर्ट ने कर्मियों की अपील को इस बात पर खारिज कर दी कि उक्त कर्मियों को कंपनी के संविधान के अनुरूप अधिकृत अधिकारी ने ही स्थानांतरित किया था.
नो वर्क नो पे : एमडी
एमडी अनिल पांडेय ने बताया कि प्रतिष्ठान का अनुशासन भंग कर स्थानांतरण के खिलाफ न्यायिक लड़ाई लड़ने वाले कर्मियों को संबंधित अवधि में नो वर्क, नो पे किया जायेगा. उक्त आधा दर्जन कर्मियों में एक प्रमोद झा खलासी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी पांच ने स्थानांतरित स्थान पर योगदान दे दिया है. पांच कर्मियों में जुबैद अहमद, विजय कुमार, सुभाष शर्मा, बुद्धिनाथ महतो तथा काली महतो शामिल हैं.
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