धनबाद : कोल माइंस रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव को दुबारा कैबिनेट में प्रस्तुत किया जायेगा. यह निर्णय बुधवार को दिल्ली में हुई माइंस एमेंडमेंट की बैठक में लिया गया है. बताते है कि 58 साल पुराने कोल माइंस रेग्युलेशन एक्ट के बदलाव की तैयारी पूरी कर इस आशय की फाइल खान सुरक्षा महानिदेशालय […]
धनबाद : कोल माइंस रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव को दुबारा कैबिनेट में प्रस्तुत किया जायेगा. यह निर्णय बुधवार को दिल्ली में हुई माइंस एमेंडमेंट की बैठक में लिया गया है. बताते है कि 58 साल पुराने कोल माइंस रेग्युलेशन एक्ट के बदलाव की तैयारी पूरी कर इस आशय की फाइल खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) द्वारा पहले ही श्रम मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजा दी गयी थी. यूपीए सरकार की कैबिनेट ने इस पर अपनी सहमति भी बना दी थी.
आज उस पर अंतिम मुहर लगनी थी. लेकिन बदलाव का प्रस्ताव एक बार फिर लटक गया है. अब इसे फिर से मंजूरी के लिए कैबिनेट में प्रस्तुत किया जायेगा. बैठक में श्रम व रोजगार मंत्री, कानून मंत्री, कोयला मंत्रालय के अवर सचिव डॉ एके दुबे व डीजीएमएस के डीजी राहुल गुहा सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे.
क्या है नये प्रस्ताव में : नये कोल माइंस रेग्युलेशन एक्ट में माइंस ऑपरेटर अपना सेफ्टी मैनेजमेंट प्लान खुद तय कर पायेंगे. प्लान का तरीका क्या होगा? कैसे कार्य में लोगों को सुरक्षित रखेंगे? इसका निर्णय वे खुद ले सकेंगे. पहले माइंस ऑपरेटर खुद से कोई निर्णय नहीं ले पाते थे.
ओपेन कास्ट के लिए अलग प्रमाण पत्र : ओपेन कास्ट में कार्य करने के लिए कर्मियों को रिस्ट्रिक्टेड प्रमाण पत्र दिया जायेगा. बिना प्रमाण पत्र के ओपेन कास्ट में कार्य नहीं कर पायेंगे. फर्स्ट व सेकेंड क्लास मैनेजर, ओवरमैन, सर्वेयर, फोरमैन व माइनिंग सरदार आदि सब के लिए प्रमाण पत्र आवश्यक होगा.
गोल सेटिंग होगा नया रेग्युलेशन : नये रेग्युलेशन से कोल ऑपरेटर को सजग रहने की जरूरत है. क्योंकि नया रेग्युलेशन गोल सेटिंग होगा. जिसमें सुरक्षा नियमों को पूरा करने की जवाबदेही बढ़ जायेगी. पुराना रेग्युलेशन प्रिस्क्रिप्टिव है, जिसमें मैप तैयार होता है.
2007 में बनी थी कमेटी : माइंस एक्ट में बदलाव के लिए नौ सदस्यीय कमेटी का गठन वर्ष 2007 में किया गया था. बताते हैं कि नये माइंस रेग्युलेशन का खाका तैयार करने में कमेटी को आठ वर्ष से अधिक का समय लगा.