धनबाद : पुलिस प्रभात खबर लेकर घर आयी थी. पेपर में लीला को देखते ही पहचान गया. चार माह तक बेटी के लिए कई जगहों की खाक छानी, नींद नहीं आती थी. अब चैन की नींद आयेगी. कहते-कहते नवादा से आये पिता गोला मांझा व मां रौशनी देवी का गला भर जाता है. पीएमसीएच में जैसे ही चाइल्ड लाइन के सदस्य लीला से परिजनों को मिलाते हैं. वहां काम कर रहे कर्मचारियों की भी आंखें छलछला जाती हैं.
हालांकि कुछ दिन और इलाज के बाद लीला को चिकित्सक सोमवार को परिजनों को सौंपेंगे. मौके पर सीडब्ल्यूसी की नीता सिन्हा, चाइल्ड लाइन के प्रकाश, संतोष कुमार, अरुण, शंकर रवानी, अशोक बाल संरक्षण के आनंद मौजूद थे. अधीक्षक डाॅ के विश्वास ने भी हर्ष जताया. लीला 31 अक्तूबर 2015 को जख्मी व अचेत अवस्था में मैथन में पायी गयी थी. वहां से मैथन पुलिस ने उसे पीएमसीएच में भरती कराया था. तीन माह के बाद होश आया, फिर वह घर जाने की बात कहने लगी. प्रभात खबर ने दो मार्च को संबंधित खबर प्रकाशित की थी.