धनबाद: बैंक यूनियन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल जिले में असरदार रही. बुधवार को सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में ताले लटके रहे. क्लियरिंग हाउस ठप होने से लगभग सात सौ करोड़ का ट्रांजेक्शन प्रभावित रहा. देर शाम कई एटीएम का शटर गिर गया.
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जिले के सभी 220 ब्रांचों के मुख्य द्वार पर कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन व नारेबाजी की. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के बैनर तले सिंडिकेट बैंक से रैली निकाली गयी, जो बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय होते हुए भारतीय स्टेट बैंक धनबाद शाखा के समक्ष सभा में तब्दील हो गयी.
रैली का नेतृत्व यूएफबीयू के सह संयोजक प्रभात चौधरी कर रहे थे. सभा की अध्यक्षता ईश्वर प्रसाद ने की. धन्यवाद ज्ञापन वीरेंद्र पांडे ने किया. रैली को सफल बनाने में एसके विश्वास, अशोक प्रसाद, बी मिश्र आदि का सराहनीय योगदान रहा. हड़ताल में सभी नौ संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.
निजीकरण करना चाहती है सरकार : वक्ताओं ने कहा, बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों का वेतन पुनरीक्षण नवंबर 2012 से लंबित है. अभी तक छह दौर की वार्ता भारतीय बैंक संघ एवं यूएफबीयू के बीच हो चुकी है. परंतु आइबीए की हठधर्मिता ने हमें हड़ताल पर जाने को बाध्य किया है. बैंकिंग उद्योग में तथाकथित सुधार के नाम पर राष्ट्रीकृत बैंकों को निजी बैंकों में तथा निजी बैंकों को विदेशी हाथों में देने की कवायद हो रही है. तरह-तरह के प्रावधान बनाकर बड़े कॉरपोरेट घरानों के 1,40,000 करोड़ रुपये के ऋण को विगत सात वर्षो में माफ कर दिया गया है तथा विगत चार वर्षो में खराब ऋणों की रकम 3,15,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है. जिसे माफ करने के नायाब तरीके एवं प्रावधान बनाने की कोशिश हो रही है.
मात्र 50 कंपनियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 40,500 करोड़ रुपया डुबाया है. बैंकों में आम जनता का पैसा जमा है और तथाकथित सुधार के नाम पर इस पैसे को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने की इस कवायद का यूएफबीयू पुरजोर विरोध करती है.
जिन्होंने संबोधित किया : यूएफबीयू के सह संयोजक प्रभात चौधरी, ईश्वर प्रसाद, एआइबीइए के अजरुन सिंह, एनके महाराज, बीके प्रसाद, एसीबीइ के बीपी सिंह, अजय कुमार सिन्हा, अनिरुद्ध चौधरी, असीम चक्रवर्ती, एआइबीओसी के दिवाकर झा, नीरज शरण, आलोक रंजन, अभिषेक प्रसाद, बीइएफआइ के देवाशीष बैध, एसएन घोष,राणा एवं साकेत सिन्हा.