धनबाद: झारखंड हाइकोर्ट ने कुसुंडा एरिया स्थित एना मेगा प्रोजेक्ट के 1694,84,38,224 रुपये (करीब 1700 करोड़ रुपये) का आउटसोर्सिंग कार्य आरके ट्रांसपोर्ट को दिये जाने के मामले में अपना पक्ष रखने के लिए बीसीसीएल उच्च प्रबंधन को एक महीने का समय दिया है. इस मामले में अगली तिथि 11 फरवरी तय की गयी है. बुधवार […]
धनबाद: झारखंड हाइकोर्ट ने कुसुंडा एरिया स्थित एना मेगा प्रोजेक्ट के 1694,84,38,224 रुपये (करीब 1700 करोड़ रुपये) का आउटसोर्सिंग कार्य आरके ट्रांसपोर्ट को दिये जाने के मामले में अपना पक्ष रखने के लिए बीसीसीएल उच्च प्रबंधन को एक महीने का समय दिया है.
इस मामले में अगली तिथि 11 फरवरी तय की गयी है. बुधवार को इस मामले में मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम की ओर से दायर रिट याचिका (3685/15) पर झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान बीसीसीएल की ओर से टाइम पिटिशन दायर कर और एक माह का समय मांगा गया. इस पर जस्टिस एस चंद्रशेखर बिफर पड़े. उन्होंने बीसीसीएल के अधिवक्ता से कहा कि ‘याचिकाकर्त्ता ने कोर्ट के समक्ष सारी बातों को रखते हुए एक-एक तत्थ दिये हैं, जो फैसला सुनाने के लिए काफी है. लेकिन बीसीसीएल की ओर से अभी तक कोई सही जवाब नहीं आया है.’
न्यायालय में बीसीसीएल के अधिवक्ता के रूप में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के पैनल अधिवक्ता अजीत शर्मा ने मामले को देख रहे सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (एएसजीआइ) पीएस नरसिंहम के मौजूद नहीं होने का हवाला देते हुए एक माह का समय देने का अनुरोध किया. श्री शर्मा के अनुरोध पर जस्टिस एस चंद्रशेखर सुनवाई की अगली तिथि 11 फरवरी मुकर्रर की. न्यायालय में मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम की ओर से अधिवक्ता अजीत सिन्हा व एडिशनल एडवोकेट जनरल अजित कुमार और बीसीसीएल की ओर से श्री शर्मा के अलावा महाप्रबंधक (सीएमसी) एकके दास, मुख्य प्रबंधक (सीएमसी) बीएन पंडित, उप महाप्रबंधक (लीगल) डॉ हरेंद्र किशोर मौजूद थे.
क्या है मामला
नौ मार्च, 2015 को एना मेगा प्रोजेक्ट से कोयला खनन को लेकर ग्लोबल टेंडर निकाला गया. नीलामी प्रक्रिया की जिम्मेदारी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ को दी गयी थी. इस ग्लोबल इ-टेंडर में कुल नौ संवेदकों ने भाग लिया. इनमें सात कंपनियों को तकनीकी रूप से सही करार देते हुए बिडिंग के लिए चयनित किया गया. सी-1 इंडिया की ओर से चार व पांच मई को उल्टी नीलामी (रिवर्स बिडिंग) आयोजित की गयी. इसमें सभी सातों कंपनियों ने हिस्सा लिया. रिवर्स बिडिंग के दौरान मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम कंपनी ने पांच मई, 2015 को 12.33 बजे अंतिम बोली लगायी. मेसर्स एएमआर देव प्रभा के अंतिम बोली लगाने के 30 मिनट बाद 1.03 बजे सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ ने बोली समाप्ति घोषित कर दी. मेसर्स एएमआर देव प्रभा का कहना है कि ‘‘चूंकि करीब 30 मिनट तक मेसर्स एएमआर देव प्रभा निर्विरोध न्यूनतम निविदादाता था. ऐसे में मेसर्स एएमआर देव प्रभा की बोली स्वीकार की जानी चाहिए थी, उन्हें ही एल-वन घोषित किया जाना चाहिए था और आगे की औपचारिकता के लिए उन्हें ही आमंत्रित किया जाना चाहिए था. इसके विपरित सी-1 इंडिया ने पुन: रिवर्स बिडिंग करायी और आरके ट्रांसपोर्ट को एल-वन घोषित कर दिया. पांच मई, 2015 को 1.03 बजे बोली समाप्ति घोषित करने के बाद सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ ने पुन: रिवर्स बिडिंग के पीछे तकनीकी खराबी का तर्क दिया है, जो पूरी तरह से निराधार है. कारण उस वक्त किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई थी. यह बात अन्य बिडर भी स्वीकार करते हैं. बीसीसीएल उच्च प्रबंधन के दबाव में ‘सी-1 इंडिया’ ने पुन: रिवर्स बिडिंग करायी. इसके पीछे आरके ट्रांसपोर्ट को लाभ पहुंचाने का मकसद रहा.’’
हाई प्रोफाइल होता मामला
एना मेगा प्रोजेक्ट का आउटसोर्सिंग कार्य आरके ट्रांसपोर्ट को दिये जाने का मामला हाई प्रोफाइल होता जा रहा है. बुधवार को हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कोयला मंत्रालय की डिप्टी सेक्रेटरी अलका शेखर व कोल इंडिया के महाप्रबंधक (प्रशासनिक) एसके सिन्हा के अलावा कोयला मंत्रालय के तीन अन्य अधिकारी भी मौजूद थे. यहां बता दें कि पूर्व में इस मामले में बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (एएसजीआइ) पीएस नरसिंहम को रांची हाइकोर्ट में उतारे जाने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो चुके हैं. बीसीसीएल मुख्यालय कोयला भवन से लेकर रांची हाइकोर्ट तक इनदिनों एक ही सवाल खड़ा है कि दो आउटसोर्सिंग कंपनियों के मामले में बीसीसीएल उच्च प्रबंधन पार्टी क्यों बना है? यह मामला मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम कंपनी और सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ के बीच का है.