धनबाद : उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में रिवाल्वर के लाइसेंस के लिए हर वर्ष दर्जनों लोग आवेदन देते हैं. इनमें से अधिकांश के आवेदन जिला स्तर से ही अग्रसारित हो कर प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यालय तक नहीं पहुंचता. जिनका आवेदन पहुंच भी गया, उनमें से अधिकांश को निराशा ही हाथ लगती है. वर्ष 2014, 2015 के दौरान प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा केवल दो दर्जन लोगों को ही रिवाल्वर का लाइसेंस दिया गया. इनमें से धनबाद, बोकारो जिले के ही 20 लोग शामिल हैं. गिरिडीह जिले के किसी को भी लाइसेंस नहीं मिला. लाइसेंस पाने वालों में अधिकांश राजनीतिज्ञ, बिजनसमैन हैं. इस दौरान राज्य में अर्जुन मुंडा एवं हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में रही. कुछ दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन भी था.
दो वर्षों में 20 लोगों को ही मिला रिवाल्वर का लाइसेंस
धनबाद, बोकारो के दर्जनों आवेदकों को हाथ लगी निराशा
प्रमंडलीय आयुक्त के यहां अधिकांश के आवेदन रिजेक्ट
किन-किन के हाथ लगी निराशा
इस दौरान तत्कालीन एएसपी राजाराम प्रसाद, पुलिस इंस्पेक्टर राज कपूर का आवेदन अस्वीकृत हो गया. इसी तरह राजीनतिक एवं ऊंची पहुंच के बावजूद पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो के पुत्र दिनेश महतो, झामुमो नेता कुमार चमन सिंह का भी आवेदन रिजेक्ट हो गया. यहां के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर नित्यानंद, डॉ अरुण कुमार वर्णवाल, प्रसिद्ध उद्योगपति मनोज अग्रवाल, प्रदीप कुमार सिंह, जावेद आलम को भी रिवाल्वर का लाइसेंस नहीं मिल पाया.
किन-किन को मिला लाइसेंस
उपलब्ध कागजात के अनुसार वर्ष 2014, 2015 के दौरान धनबाद के समीर पाल, प्रशांत कुमार सिंह, राणा रंजीत सिंह परमार, रमेश कुमार साव, सत्येंद्र चौधरी, पवन कुमार महतो, डॉ नलिनी रंजन महापात्रा, चंदन सिंह को ही लाइसेंस की अनुमति मिली. इनमें डॉ महापात्रा प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन हैं. इसी तरह बोकारो के हरेंद्र सिंह, अंबिका ख्वास, सुकुमार मरांडी, वीरेंद्र कुमार सिंह, कुमार गौरव, ज्वाला सिंह, सीता मुर्मू, रजनीश कुमार, दिलीप कुमार चौबे, जितेंद्र सिंह, अमर कुमार दुबे, रवि केजरीवाल शामिल हैं. इनमें से अंबिका ख्वास अभी भाजपा बोकारो के जिलाध्यक्ष हैं. जबकि शिव कुमार मरांडी अराजपत्रित कर्मचारी संघ के महामंत्री हैं. रवि केजरीवाल को पूर्व सीएम हेमंत सोरेन का नजदीकी माना जाता है.