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कारोबारियों को 2006 से देनी होगी बाजार फीस

धनबाद : झारखंड विधान सभा ने झारखंड खनिज क्षेत्र प्राधिकार अधिनियम 2015 (संशोधन) विधेयक को आज मंजूरी दे दी. सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हल्ला-हंगामा के बीच विधेयक पास हो गया. आज सरकार की ओर से पेश झारखंड खनिज क्षेत्र प्राधिकार अधिनियम 2015 (संशोधन) विधेयक के खिलाफ निरसा के विधायक अरूप चटर्जी ने संशोधन प्रस्ताव […]

धनबाद : झारखंड विधान सभा ने झारखंड खनिज क्षेत्र प्राधिकार अधिनियम 2015 (संशोधन) विधेयक को आज मंजूरी दे दी. सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हल्ला-हंगामा के बीच विधेयक पास हो गया. आज सरकार की ओर से पेश झारखंड खनिज क्षेत्र प्राधिकार अधिनियम 2015 (संशोधन) विधेयक के खिलाफ निरसा के विधायक अरूप चटर्जी ने संशोधन प्रस्ताव दिया.

श्री चटर्जी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार कम से कम वर्ष 2006 से बाजार फीस वसूली का प्रावधान समाप्त करे. इसका समर्थन धनबाद के विधायक राज सिन्हा एवं झरिया के विधायक संजीव सिंह ने भी किया. धनबाद जिले के तीनों विधायकों का कहना था कि यह विधेयक पास होने से धनबाद में उद्योग जगत बर्बाद हो जायेगा. उनके समक्ष तालाबंदी की नौबत आ जायेगी. लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं मिला. हल्ला-हंगामा के बीच विधेयक को मंजूरी दे दी गयी.

अब आगे क्या
खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (माडा) का नाम अब झारखंड खनिज क्षेत्र प्राधिकार (जमाडा) हो जायेगा. जमाडा का अस्तित्व बना रहेगा. माडा का नगर निगम में विलय नहीं होगा. कारोबारियों को माडा को बाजार फीस के रूप में एक प्रतिशत टैक्स देना होगा. कई संस्थानों एवं कंपनियों को वर्ष 2006 से बकाया बाजार फीस का भी भुगतान करना पड़ेगा.
इन प्रोडक्ट पर बाजार फीस
कोयला एंड कोक, स्टोन चिप्स एंड बोल्डर, ब्रिक्स लाइम एंड सैंड, आयरन एंड स्टील, सीमेंट, केमिकल फर्टिलाइजर, एक्सप्लोसिव, आयरन एंड स्टील, अलमीरा, जिंक एंड एलाइज, एयर कंडीशन-एयर कुलर, फायर ब्रिक्स.

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