28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कानूनी लड़ाई: 28 साल बाद 101 कामगारों को इंसाफ

धनबाद: मेसर्स जार्डिन हेंडर्सन लिमिटेड (मेमको डिवीजन), धनबाद के कामगारों को 28 साल के लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को न्याय मिला. श्रम न्यायालय, धनबाद ने कामगारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को सूद समेत सभी बकाये के भुगतान का आदेश दिया. पीठासीन पदाधिकारी आरके जुमनानी की अदालत ने 44 पन्ने के अपने […]

धनबाद: मेसर्स जार्डिन हेंडर्सन लिमिटेड (मेमको डिवीजन), धनबाद के कामगारों को 28 साल के लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को न्याय मिला. श्रम न्यायालय, धनबाद ने कामगारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को सूद समेत सभी बकाये के भुगतान का आदेश दिया. पीठासीन पदाधिकारी आरके जुमनानी की अदालत ने 44 पन्ने के अपने आदेश में प्रति कामगार दो हजार रुपये मुकदमा लड़ने के लिए भुगतान करने को कहा है.

साथ ही बकाये का भुगतान करीब 12 प्रतिशत ब्याज के साथ करने को कहा गया है. यह निर्णय सुनते ही कामगारों के चेहरे पर अजीब सी चमक आ गयी. कई के आंसु छलक पड़े तो कई को अपने परिजन याद आ गये, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.

महासचिव थे दुर्गा प्रसाद यादव : राज्यपाल ने कामगारों का महासचिव दुर्गा प्रसाद यादव को मनोनीत किया था. उनके सहयोगी डीएन शर्मा, बीपी गुप्ता, सुरेश शर्मा, मो अनवर हुसैन, मो अताउद्दीन थे. कोर्ट का निर्णय जानने दिल्ली, सिवान, मुंगेर आदि से भी लोग पहुंचे थे.
इनके पक्ष में निर्णय (कई अब स्वर्गीय) : भोलानाथ सिंह, खिरीबाला देवी, मोफुद्दीन अंसारी, शिव चरण महतो, शंकर शाह, चंद्रमल प्रसाद, निमाई रक्षित, इंद्रयानी देवी, रामावती देवी, राजकुमारी देवी, बासुमति कामिन, सारदा देवी, पिंटू रजवार, सतीश चंद्र दास, चंडी चरण भट्टाचर्जी, शालीग्राम शर्मा, शांति देवी, नारायण हरि, हनीफ अंसारी, दुलाली देवी, सितू हेंब्रम, हीरालाल ठाकुर, श्याम सिंह, काली राम, हामिद अंसारी, धरानी देवी, अंकुर मंडल, वकील रवानी, नकुल सेन, काली चरण महतो, सोना देवी, मरियम बिदी, मकबूल अंसारी, उस्मान अंसारी, जादो मंडल, भागीरथ गोप, सुनील कुमार मंडल, मोइउद्दीन अंसारी, सुमा देवी, कुंती देवी, बासो देवी, मो युसुफ, रजिया खातून, सुरेंद्र यादव, नाविक दास, रामजी पंडित, सुमित्रा देवी, भानु सिंह, नंदलाल सोरेन, बबलु कुमार सिंह, मोहन लाल, दुर्गा प्रसाद सिंह, रबाइदा खातून, आमना खातून, गंगा देवी, बिनोद कुमार मिश्रा, स्वर्ण सिंह, मो माजिद, मो हारून, एसपी सिंह, रेखा रानी सिंह.
क्या है मामला
कंपनी ने 13 जनवरी 1987 को अपने 101 कामगारों की छंटनी कर दी थी और कुछ ही समय बाद कारखाने को भी बंद कर दिया. इस कारखाने में कोलियरियों में प्रयुक्त होने वाले उपकरण बनते थे. इसके बाद कामगारों ने न्यायिक लड़ाई लड़ने की ठानी. इधर बिहार सरकार के तत्कालीन सचिव ने कंपनी को पत्र लिख कर कहा कि मामला न्यायालय में लंबित है तो कारखाने को बंद नहीं कर सकते. कंपनी ने सरकार की भी एक न सुनी. फिर एक के बाद एक न्यायालय में कंपनी को कामगारों ने हराया. कंपनी बकाये भुगतान को तैयार नहीं थी. मामले को टालने को कंपनी ने 30 कामगारों को बकाये का भुगतान भी किया. साथ ही अधिकांश कामगारों से फर्जी समझौता कराने का दावा प्रस्तुत किया, जो भी न्यायालय में टिक न सका. अब 61 बाकी बचे समेत सभी 101 कामगारों को कंपनी को बकाये का भुगतान करना होगा. दो कामगारों के मामले में टंकन भूल के कारण आदेश नहीं आ पाया है.
बदल गये 51 वकील
28 साल 10 महीने और 27 दिन की लंबी अवधि में कामगारों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दुर्गा प्रसाद यादव के अनुसार 51 वकील बदलने पड़े. एक दो डेट के बाद वकील कंपनी के पक्ष में हो जाते थे. इस कारण केस कमजोर होने का भी डर लगा रहा. लेकिन कामगारों ने कभी हिम्मत नहीं हारी. हालांकि कुछेक ने पूरा साथ भी दिया. धनबाद के अधिवक्ता कृष्ण कुमार सिन्हा कामगारों के पक्ष में थे. इसके अलावा झारखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश तिवारी की भी कामगारों के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका रही.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें