धनबाद: खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (माडा) का नगर निगम में विलय प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गयी है. चालू वित्तीय वर्ष में ही विलय की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. जानकारी के अनुसार गंभीर वित्तीय संकट में फंसा माडा के विलय प्रस्ताव पर मुख्य सचिव आरएस शर्मा की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई बैठक में मंजूरी दे दी गयी है. नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह के अनुसार जल्द ही इसके लिए मसौदा तैयार कर मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जायेगा. कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही माडा के विलय की औपचारिकता शुरू हो जायेगी. सूत्रों के अनुसार विलय को ले कर आधिकारिक स्तर पर सब कुछ तय हो गया है. माडा की परिसंपत्ति एवं देनदारी पर भी सहमति बन चुकी है. कर्मचारियों के बकाया वेतन एवं अन्य देनदारी राज्य सरकार देगी.
क्या है स्थिति : माडा के नगर निगम में विलय की कवायद पिछले दो वर्षो से चल रही है. माडा में कार्यरत सभी कर्मियों के सर्विस रिकॉर्ड की जांच एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) बीपीएल दास की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा की जा चुकी है.
वर्तमान में माडा में लगभग 18 सौ कर्मी तैनात हैं. माडा की देनदारी एवं परिसंपत्तियों का भी आकलन हो चुका है. माडा के अधिकांश कर्मी भी संस्थान के निगम में विलय के पक्षधर हैं. यहां के जनप्रतिनिधि भी विलय के पक्षधर हैं.
क्या होगा लाभ
माडा के निगम में विलय से माडा की आर्थिक स्थिति बदलेगी. यहां के कर्मियों को नियमित वेतन मिल पायेगा. अभी माडाकर्मियों का 19 माह का वेतन बकाया है. वहीं नगर निगम जो कर्मियों की भारी कमी ङोल रहा है, को बड़ी संख्या में कर्मी मिल जायेंगे. साथ ही माडा के बड़े कार्यालय परिसर सहित अन्य परिसंपत्तियों का भी उपयोग निगम कर पायेगा.
माडा के नगर निगम में विलय पर सहमति बन चुकी है. कैबिनेट से मंजूरी के बाद मार्च 2014 तक इसे पूरा कर लिया जायेगा. माडा कर्मियों को नगर निगम में एडजस्ट करने के बाद सरप्लस कर्मियों को राज्य के दूसरे निगम एवं नगर पंचायत कार्यालय में पदस्थापित किया जायेगा. अजय कुमार सिंह, सचिव, नवि विभाग.