अगर प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करना है तो बार कोड जरूरी है. बार कोड में हो रहे खर्च की 75 प्रतिशत राशि एमएसएमइ मंत्रालय दे रही है. धनबाद के लघु व सुक्ष्म उद्योग भी बार कोड का उपयोग करे ताकि उनके प्रोडक्ट की पहचान हो. दिल्ली से आये राजेश मित्तल ने कहा कि पूरे विश्व में बार कोड में एक ही भाषा होती है, जो प्रोडक्ट की पहचान दिलाती है.
मौके पर आठ उद्यमियों ने बार कोड लेने की इच्छा जतायी. सेमिनार में जिला उद्योग केंद्र के जीएम बी दास, एलडीएम सुबोध कुमार, डिप्टी डायरेक्टर तापस साहा, जिला फ्लावर मिल एसोसिएशन के सचिव कैलाश गोयल सहित 40 उद्यमी उपस्थित थे. मंच का संचालन अन्वेषक सुजीत कुमार ने किया.