धनबाद: ऋण माफी घोटाले की जांच में बैंक के सहायक को लगाया जाना अनुचित है. सहायकों की सीमित योग्यता है. जांच कार्य में विलंब होना या त्रुटिपूर्ण होना स्वाभाविक है. प्रशासक को गुमराह कर प्रबंध निदेशक ने सहायकों का वेतन रोक दिया है. झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक इंप्लाइज यूनियन इसका जोरदार विरोध करेगी. 15 व 16 को बैंक बंद रखेगा.
यूनियन के यूनिट सचिव अनिल कुमार सिंह ने कहा कि बैंक अधिकारी एवं शाखा प्रबंधकों द्वारा लाभुक किसानों की सूची की जांच करनी थी. लेकिन नाबार्ड के सकरुलर को ताक पर रखते हुए विभाग द्वारा पत्र निर्गत किया गया, जिसमें बीसीइओ और विभागीय अंकेक्षक द्वारा जांच कराने का आदेश दिया गया.
अब जब बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत मिली तब नाबार्ड द्वारा यह निर्देश दिया गया कि बैंक अधिकारी व शाखा प्रबंधकों द्वारा री-वेरिफिकेशन कराया जाये. जब दावा भेजा जा रहा था उस समय बैंक अधिकारी एवं शाखा प्रबंधकों को इस लायक नहीं समझा गया था तो फिर अब क्यों इसकी जांच बैंक अधिकारी एवं शाखा प्रबंधकों द्वारा कराने की जरूरत महसूस हुई. विभागीय पदाधिकारियों को बचाने के लिए बैंक कर्मियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. बैंक की दस में नौ शाखाओं में सहायक द्वारा शाखा प्रबंधक का कार्य लिया जा रहा है. यूनियन इसका जोरदार विरोध करेगी.